पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन | Power Finance Corporation

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन कंपनी प्रोफाइल, सहायक कंपनियां, इतिहास, चैयरमेन, नेटवर्थ, CEO, प्रोडक्ट, पुरस्कार, और अधिक (Power Finance Corporation company details in hindi)

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन की स्थापना 16 जुलाई 1986 को हुई थी। यह एक अनुसूची-A महारत्न CPSE है और भारत का एक प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय निगम है। यह एक महत्वपूर्ण नॉन डिपॉजिट लेने वाली NBFC है, जो भारतीय रिजर्व बैंक के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी के रूप में पंजीकृत है।

 

कंपनी प्रोफाइल (Profile)

नाम पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
इंडस्ट्री वित्तीय सेवाएं
शुरुवात की तारीख 16 जुलाई 1986
मुख्य लोग परमिंदर चोपड़ा (Chairman & MD)
मुख्यालय नई दिल्ली
स्टॉक एक्सचेंज BSE :532810, NSE :PFC
मार्किट कैप (Market Cap) ₹ 1,35,123करोड़
राजस्व (Revenue) ₹91,586 करोड़ (वित्त वर्ष2024)
कुल संपत्ति (Total Asset) ₹10,38,877 करोड़ (वित्त वर्ष2024)
नेटवर्थ (Net Worth) ₹1,34,289 करोड़ (वित्त वर्ष2024)
मालक भारत सरकार
वेबसाइट pfcindia.com

 

कंपनी के बारे में (About Company)

भारत की ऊर्जा क्रांति में अगर कोई कंपनी ‘पावर प्लेयर’ की भूमिका निभा रही है, तो वह है पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC)। यह कंपनी सिर्फ पैसा उधार देने वाली NBFC नहीं है, बल्कि यह देश की बिजली जरूरतों को पूरा करने का ‘वित्तीय दोस्त’ है। चाहे कोयले से चलने वाले पावर प्लांट हों या पवन और सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोत, PFC हर जगह अपनी मदद का हाथ बढ़ाती है।

PFC का काम सिर्फ लोन देना नहीं है। यह कंपनी बिजली बनाने वाली परियोजनाओं को हर तरह की मदद देती है। चाहे नए पावर प्लांट लगाने के लिए पैसा हो, मशीनरी खरीदने के लिए लीज फाइनेंसिंग हो, या कोयला आयात के लिए लोन की जरूरत हो, PFC हर कदम पर साथ देती है। यही नहीं, पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा जैसी ‘ग्रीन एनर्जी’ परियोजनाओं को भी यह कंपनी खास तवज्जो देती है।

PFC सिर्फ पैसा ही नहीं देती, बल्कि यह ‘भरोसा’ भी देती है। इसके गैर-फंड आधारित उत्पाद जैसे भुगतान की गारंटी, एलओसी (लेटर ऑफ क्रेडिट), और ईंधन समझौतों (FSA) के लिए गारंटी, ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वालों के लिए ‘सुरक्षा कवच’ का काम करते हैं। ये सेवाएं न केवल जोखिम कम करती हैं, बल्कि परियोजनाओं को सफल बनाने में भी मदद करती हैं।

PFC की भूमिका सिर्फ वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है। यह कंपनी ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वालों को वित्तीय, नियामक और तकनीकी सलाह भी देती है। इसकी सहायक कंपनियां जैसे आरईसी लिमिटेड और PFC कंसल्टिंग लिमिटेड भी ऊर्जा परियोजनाओं को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।

PFC का मकसद सिर्फ बिजली बनाना नहीं है, बल्कि भारत को ‘ऊर्जा सुरक्षा’ दिलाना है। यह कंपनी देश की ऊर्जा नीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाती है। चाहे नए पावर प्लांट लगाने हों या नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना हो, PFC हर मोर्चे पर मजबूती से खड़ी है।

प्रोडक्ट/सर्विस (Product/Services)

  • फंड आधारित उत्पाद:
  • परियोजना टर्म लोन
  • लीज़ फाइनेंसिंग
  • शॉर्ट टर्म लोन
  • मीडियम टर्म लोन
  • डेब्ट रिफाइनेंसिंग
  • नॉन-फंड आधारित उत्पाद:
  • डिफर्ड पेमेंट गारंटी
  • लेटर ऑफ कम्फर्ट (LoC)
  • लोन वृद्धि की गारंटी

 

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन का इतिहास (History)

  • कंपनी की स्थापना 16 जुलाई 1986 को सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में हुई, और इसे 31 दिसंबर 1987 को व्यवसाय शुरू करने का प्रमाण पत्र मिला।
  • 1988 में, उधारी गतिविधियाँ शुरू हुईं, प्राथमिक क्षेत्रों की पहचान की गई, और अलग अलग समय के लिए संचालन की रणनीतियाँ बनाई गईं।
  • 1989 में, मित्सुई एंड कंपनी को गारंटी दी गई और उत्तर प्रदेश के लिए 39 बिलियन रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया, ताकि 1,000 मेगावाट अनपरा बी थर्मल पावर परियोजना स्थापित की जा सके।
  • 1992 में, यूएसएआईडी की सहायता से ऊर्जा प्रबंधन परामर्श और प्रशिक्षण की परियोजना शुरू की गई, जिसका लक्ष्य बिजली क्षेत्र की दक्षता बढ़ाना था।
  • 1993 में, भारत सरकार के साथ संचालन के लिए पहला समझौता ज्ञापन साइन किया गया, जिसमें लक्ष्य निर्धारित किए गए और उत्कृष्टता की रेटिंग दी गई।
  • 1996 में, निजी बिजली परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देना शुरू किया गया, जिससे निजी क्षेत्र में बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिला और प्रतिस्पर्धा में सुधार हुआ।
  • 1998 में, संस्था को एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) के रूप में पंजीकृत किया गया, जिससे इसे वित्तीय सेवाएं प्रदान करने की मान्यता मिली और सेवाओं का दायरा बढ़ा।
  • 1999 में, सलाह देने की सेवाएँ शुरू की गईं, जो सरकारी और निजी बिजली कंपनियों को बिजली और वित्तीय क्षेत्र में मदद करती थीं।
  • 2005 में, एलआईसी और दस प्रमुख बैंकों ने बिजली परियोजनाओं के लिए कंसोर्टियम फाइनेंसिंग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • 2007 में, 2 नई सहायक कंपनियों का गठन किया गया, एक यूएमपीपी के विकास के लिए और दूसरी आईटीपी के लिए।
  • 2008 में, कंपनी ने अपनी तीन सहायक कंपनियाँ सफल बोली लगाने वालों को सौंप दीं: गुजरात में मुंद्रा यूएमपीपी के लिए कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड, मध्य प्रदेश में सासन यूएमपीपी के लिए सासन पावर, और आंध्र प्रदेश में कृष्णापटनम यूएमपीपी के लिए तटीय आंध्र पावर लिमिटेड।
  • 2010 में, कंपनी ने आईएसओ 9001:2008 प्रमाणन हासिल किया और एक इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी के रूप में आरबीआई में पंजीकरण हुई।
  • 2011 में, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन ने ग्रीन एनर्जी लिमिटेड नाम की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बनाई।
  • 2012 में, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन ने 5 वित्तीय संकट का सामना कर रही डिस्कॉम को 7,400 करोड़ रुपये का ऋण दिया।
  • 2014 में, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने आंध्र प्रदेश सरकार को बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए 15,000 करोड़ रुपये का ऋण देने की पेशकश की।
  • 2015 में, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने बिहार मेगा पावर लिमिटेड को अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बनाया।
  • 2018 में, पीएफसी के बोर्ड ने तनावग्रस्त संपत्तियों के प्रबंधन के लिए आईसीए में शामिल होने का फैसला किया।
  • 2020 में, पीएफसी ने उत्तराखंड को पीपीई किट और एम्बुलेंस के लिए 23 करोड़ रुपये देने का वादा किया और COVID-19 से लड़ने के लिए रेड क्रॉस को 50 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की।
  • 2021 में, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड को महारत्न का सम्मान प्राप्त हुआ।
  • 2022 में, पीएफसी ने फ़रीदाबाद के गांवों में एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए एक समझौते पर दस्तखत किए।

 

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन की सहायक कंपनियां (Subsidiaries)

पीएफसी कंसल्टिंग लिमिटेड

पीएफसी कंसल्टिंग लिमिटेड (PFCCL) की शुरुआत 25 मार्च 2008 को पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य बिजली क्षेत्र में परामर्श सेवाएं देना था। इसके कार्यालय नई दिल्ली, धर्मशाला, शिमला, सुंदरगढ़, बांका और कोलकाता में स्थित हैं। पीएफसी कंसल्टिंग का मुख्य काम पावर क्षेत्र में सुधार लाना, नई परियोजनाओं का संचालन करना और बिजली अधिनियम 2003 को लागू करना है। इसके अलावा, यह कंपनी पावर सेक्टर के विकास को बढ़ावा देने और नियामक तंत्र को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उड़ीसा इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड

उड़ीसा इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जिसे 23 अगस्त 2006 को भारत में स्थापित किया गया था। यह कंपनी मुख्य रूप से बिजली उत्पादन और पारेषण के काम में लगी हुई है, खासकर कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के जरिए। इसका मुख्य उद्देश्य ओडिशा राज्य की बढ़ती बिजली की जरूरतों को पूरा करना है, ताकि राज्य का औद्योगिक और आर्थिक विकास हो सके।

कोस्टल कर्नाटक पावर लिमिटेड

कोस्टल कर्नाटक पावर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जिसे 10 फरवरी 2006 को स्थापित किया गया था। यह कंपनी पिछले 19 सालों से बिजली, गैस और जल उद्योगों में काम कर रही है। आजकल, कंपनी कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के ताड़ी में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट बना रही है, जिसे पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन ने एक विशेष उद्देश्य के तहत शुरू किया है। यह कंपनी मुख्य रूप से कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के जरिए बिजली पैदा करती है, ताकि कर्नाटका राज्य की बढ़ती बिजली की मांग पूरी की जा सके।

 

जॉइंट वेंचर (Joint Venture)

  • 1998 में, पीटीसी इंडिया लिमिटेड का गठन एनटीपीसी लिमिटेड और पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर किया गया।
  • 2018 में, बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड (बीजीसीएल) पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन और बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी का संयुक्त उद्यम है, इसके लिए 16 400 केवी, 220 केवी और 132 केवी ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए राशि मंजूर की गई।

 

शेयर होल्डिंग

दिसंबर 2024 तक, PFC का शेयर होल्डिंग पैटर्न: प्रोमोटर 55.99%, विदेशी संस्थाएँ 18.04%, म्यूच्यूअल फंड्स 11.57%, रिटेल और अन्य 8.80%, अन्य घरेलू संस्थान 5.59%, टोटल 100%।

शेयरहोल्डर शेयर होल्डिंग
प्रोमोटर 55.99%
विदेशी संस्थाएँ (FIIs) 18.04%
म्यूच्यूअल फंड्स 11.57%
रिटेल और अन्य 8.80%
अन्य घरेलू संस्थान 5.59%
टोटल 100%

 

पुरस्कार और मान्यताएं (Awards and Recognitions)

  • पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 2016 में NowPSU अवार्ड में गवर्नेंस के लिए सम्मानित किया गया।
  • 2019 में, पीएफसी को वित्तीय रिपोर्टिंग में आईसीएआई पुरस्कार और उद्योग उत्कृष्टता पुरस्कार मिला।
  • 2021 में, पीएफसी ने ‘कोविड के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पीएसयू’ में स्कॉच गोल्ड अवार्ड जीता।
  • 2022 में, पीएफसी को वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए आईसीएआई पुरस्कार मिला

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन क्या काम करता है?

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) एक वित्तीय संस्था है जो मुख्य रूप से बिजली क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं को पैसे मुहैया कराती है। यह कंपनी बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण के लिए कर्ज देती है, ताकि देश में बिजली की आपूर्ति और व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन को महारत्न का दर्जा कब मिला था?

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) को अक्टूबर 2021 में ‘महारत्न’ का दर्जा प्राप्त हुआ।

क्या पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन एक एनबीएफसी है?

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PFC) 1986 में स्थापित एक एनबीएफसी है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी के रूप में पंजीकृत है। यह कंपनी खासकर ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए वित्तीय मदद देती है।

Read Also :- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)

निष्कर्ष

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PFC) भारत में ऊर्जा क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कंपनी बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण से जुड़ी परियोजनाओं को आर्थिक मदद देती है, जिससे देश के ऊर्जा ढांचे को मजबूत किया जाता है। PFC अपनी वित्तीय ताकत, अच्छे प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के लिए प्रतिबद्ध है। भविष्य में, PFC के समर्थन से ऊर्जा क्षेत्र में और सुधार और विस्तार होगा, जो देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और सतत विकास को बढ़ावा देगा।

 

 

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