पोर्टफोलियो क्या है, निवेश से करियर तक, जानिए पोर्टफोलियो के सभी रूप–Portfolio Meaning in Hindi
पोर्टफोलियो एक ऐसी झलक है जो यह दिखाती है कि आपने अपनी मेहनत की कमाई को कहाँ-कहाँ और कैसे लगाया है। यह सिर्फ शेयर बाजार तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें म्यूचुअल फंड, जमीन-जायदाद, सोना, बांड्स और यहां तक कि बैंक एफडी जैसे निवेश भी शामिल हो सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो, यह आपके वित्तीय फैसलों की एक तस्वीर होती है।
पोर्टफोलियो क्या है? (Portfolio kya hai)
पोर्टफोलियो निवेशों का एक ऐसा समूह होता है, जिसमें स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कैश, ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड), कमोडिटीज, रियल एस्टेट, और अन्य वैकल्पिक परिसंपत्तियाँ शामिल हो सकती हैं। यह केवल स्टॉक्स, बॉन्ड्स और कैश तक सीमित नहीं होता, बल्कि निवेशक की रणनीति, जोखिम लेने की क्षमता और लक्ष्य के अनुसार इसमें विविधता लाई जा सकती है। उदाहरण के लिए, एक पोर्टफोलियो में इक्विटी निवेश के साथ-साथ आर्टवर्क, सोना, म्यूचुअल फंड्स, और क्रिप्टोकरेंसी जैसी संपत्तियाँ भी शामिल हो सकती हैं। पोर्टफोलियो का उद्देश्य जोखिम को संतुलित करते हुए अधिकतम रिटर्न पाना होता है, और इसे व्यक्ति स्वयं प्रबंधित कर सकता है या किसी वित्तीय सलाहकार की मदद से भी संचालित किया जा सकता है।
पोर्टफोलियो किन हिस्सों से बनता है? – (Components of Portfolio in Hindi)
जब आप निवेश करते हैं, तो अलग-अलग प्रकार की संपत्तियों का समूह बनता है जिसे पोर्टफोलियो कहते हैं। हर तरह का निवेश आपके पैसे के लिए अलग तरह का काम करता है – कुछ जोखिम को कम करते हैं, कुछ बेहतर मुनाफा देते हैं। सही संतुलन के साथ इन अवयवों को जोड़ना ही एक सफल निवेश रणनीति की नींव होती है। अब देखते हैं कि एक पोर्टफोलियो में कौन-कौन से प्रमुख हिस्से शामिल हो सकते हैं।
- स्टॉक्स (Stocks / Equity Shares)
जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आप उसकी तरक्की में भागीदार बनते हैं। कंपनी की कमाई बढ़े तो आपके पैसे भी बढ़ते हैं। कभी-कभी बोनस या डिविडेंड भी मिल जाता है। हां, जोखिम है – पर जहां उतार-चढ़ाव हैं, वहीं मुनाफे की उम्मीद भी होती है। अगर आप समय देने को तैयार हैं, तो शेयर एक मजबूत विकल्प है।
- बॉन्ड्स (Bonds)
अगर आप ऐसा निवेश चाहते हैं जो बिना ज्यादा हलचल के लगातार काम करता रहे, तो बॉन्ड एक मजबूत विकल्प है। इसमें आप किसी कंपनी या सरकार को एक तय समय के लिए फंड देते हैं, और इसके बदले में आपको तय ब्याज मिलता रहता है। शेयरों की तुलना में ये कम जोखिम वाले होते हैं और जब बाकी निवेश डगमगाते हैं, तो ये आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता देने में मदद करते हैं।
- कैश और उसके जैसे विकल्प (Cash & Equivalents)
नकदी या तुरंत उपयोग में लाने वाले फंड्स – जैसे सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या मनी मार्केट स्कीम – ऐसी चीजें होती हैं जो आपको वित्तीय लचीलापन देती हैं। इनसे बहुत बड़ा रिटर्न तो नहीं मिलता, लेकिन इमरजेंसी में ये सबसे पहले मदद करते हैं। यानी ये पोर्टफोलियो का ‘सुरक्षा कुशन’ हैं।
- म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds)
अगर आपको खुद से स्टॉक्स या बॉन्ड्स चुनना कठिन लगता है, तो म्यूचुअल फंड्स एक स्मार्ट विकल्प हैं। यहां विशेषज्ञ आपकी ओर से निर्णय लेते हैं और आपका पैसा कई जगहों पर लगाया जाता है। इस तरह आपको विविधता भी मिलती है और प्रबंधन की चिंता भी नहीं रहती।
- ईटीएफ (ETFs – एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स)
ईटीएफ एक ऐसा निवेश विकल्प है जो म्यूचुअल फंड की विविधता और शेयर की ट्रेडिंग सुविधा – दोनों को जोड़ता है। ये बाजार में रियल टाइम पर खरीदे-बेचे जा सकते हैं और कम लागत में अच्छी विविधता देते हैं। खासकर शुरुआती या युवा निवेशकों के लिए ये किफायती और समझदारी भरा रास्ता हो सकता है।
- कमोडिटीज (Commodities)
सोना, चांदी, तेल या कृषि उत्पाद – ये सब चीजें कमोडिटी कहलाती हैं। जब बाकी बाजार हिल रहा होता है, तो अक्सर ये स्थिरता देते हैं। सोना खासकर भारतीय निवेशकों का पुराना भरोसेमंद साथी रहा है। पोर्टफोलियो में इनकी थोड़ी मात्रा होना जोखिम को संतुलित करने में मदद करता है।
- रियल एस्टेट (Real Estate)
ज़मीन-जायदाद में निवेश सिर्फ घर बनाने के लिए नहीं होता – इससे आप किराए की आय और लंबी अवधि में मूल्यवृद्धि भी हासिल कर सकते हैं। हालांकि इसमें पैसा फंस सकता है और जल्दी नकदी नहीं मिलती, लेकिन दीर्घकालिक सोच रखने वालों के लिए ये एक ठोस संपत्ति होती है।
- वैकल्पिक निवेश (Alternative Investments)
हर कोई पारंपरिक तरीके से निवेश नहीं करना चाहता – कुछ लोग अलग सोचते हैं। ऐसे लोगों के लिए वैकल्पिक निवेश जैसे क्रिप्टोकरेंसी, यूनिक डिजिटल कलेक्शन (जैसे NFT), या किसी नए बिज़नेस में हिस्सेदारी रखना, कुछ हटकर और रोमांचक हो सकता है। इनमें जोखिम जरूर है, लेकिन सही रिसर्च और सोच-समझकर किया गया निवेश बड़े फायदे ला सकता है।
पोर्टफोलियो के प्रकार – Types of Portfolio in Hindi
निवेशक के उद्देश्य, जोखिम सहन क्षमता, और समय सीमा के आधार पर विभिन्न प्रकार के पोर्टफोलियो बनाए जाते हैं। इन पोर्टफोलियो का मुख्य उद्देश्य आपके निवेश को इस तरह से संयोजित करना है कि वे आपके वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार काम करें। आइए जानते हैं, निवेश के कौन से प्रमुख प्रकार होते हैं:
- आय आधारित पोर्टफोलियो (Income Portfolio)
यह पोर्टफोलियो उन लोगों के लिए आदर्श है, जो नियमित आय की तलाश में रहते हैं। इसमें मुख्य रूप से डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स, बॉन्ड्स, और ऐसे अन्य निवेश शामिल होते हैं, जो आपको हर महीने या तिमाही में आय देते हैं। इस प्रकार का पोर्टफोलियो स्थिरता और नियमित आय पर केंद्रित होता है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो रिटायरमेंट या किसी अन्य आर्थिक जरूरत के लिए फंड्स चाहते हैं।
- विकास-केंद्रित पोर्टफोलियो (Growth-Focused Portfolio)
इस पोर्टफोलियो का उद्देश्य समय के साथ आपके निवेश को अधिक मूल्य में बदलना होता है। इसमें अधिक जोखिम उठाए जाते हैं, लेकिन संभावित रूप से यह आपके पूंजी को काफी बढ़ा सकता है। इसमें आमतौर पर उन कंपनियों के शेयर होते हैं जिनकी वृद्धि की क्षमता उच्च होती है। निवेशक इसे लंबी अवधि के लिए चुनते हैं, जब उन्हें मुनाफा अधिक समय में चाहिए होता है।
- बैलेंस्ड पोर्टफोलियो (Balanced Portfolio)
यह पोर्टफोलियो आय और विकास दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। इसमें डिविडेंड स्टॉक्स, बॉन्ड्स, और उद्यमों के शेयर मिलकर काम करते हैं, जिससे निवेशक को नियमित आय और पूंजी वृद्धि दोनों का लाभ होता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो सुरक्षा के साथ-साथ मुनाफा भी चाहते हैं।
- जोखिम-प्रधान पोर्टफोलियो (High-Risk Portfolio)
यह पोर्टफोलियो उन निवेशकों के लिए है जो उच्च जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं और बड़े रिटर्न्स की उम्मीद करते हैं। इसमें आमतौर पर उद्यमों की शुरूआत, नवीनतम ट्रेंड्स या नई तकनीकों के निवेश शामिल होते हैं। सट्टेबाज़ी निवेश में लाभ अधिक होता है, लेकिन नुकसान भी उतना ही तेज हो सकता है। यह पोर्टफोलियो उन लोगों के लिए है जो जोखिम को स्वीकार करके बड़ा लाभ प्राप्त करना चाहते हैं।
- वैल्यू-आधारित पोर्टफोलियो (Value-Based Portfolio)
इस पोर्टफोलियो में निवेशक उन संपत्तियों में निवेश करते हैं, जिनकी मूल्यांकन से कम कीमत होती है। यह एक लंबी अवधि का दृष्टिकोण है, जिसमें निवेशक विश्वास करते हैं कि इन संपत्तियों की कीमत समय के साथ बढ़ेगी। यह पोर्टफोलियो मूल्य पहचानने और आवसरों की तलाश पर आधारित होता है।
- आक्रामक रणनीति पोर्टफोलियो (Aggressive Strategy Portfolio)
यह पोर्टफोलियो उन निवेशकों के लिए है जो उच्चतम रिटर्न के लिए अत्यधिक जोखिम उठाने को तैयार होते हैं। इसमें विकासशील कंपनियों, स्टार्टअप्स, और उच्च-जोखिम वाले सेक्टर्स में निवेश किया जाता है। इस प्रकार के पोर्टफोलियो का उद्देश्य उच्चतम पूंजी वृद्धि प्राप्त करना होता है, लेकिन यह भी अधिक जोखिम के साथ आता है।
- सुरक्षा-केंद्रित पोर्टफोलियो (Defensive Portfolio)
यह पोर्टफोलियो सुरक्षा और पूंजी संरक्षण पर केंद्रित होता है। इसमें कम जोखिम वाले निवेश होते हैं, जैसे ब्लू-चिप स्टॉक्स या गवर्नमेंट बॉन्ड्स, जो स्थिर और नियमित लाभ देते हैं। रक्षात्मक पोर्टफोलियो में मूलधन की सुरक्षा और कम जोखिम लिया जाता है, और यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त होता है जो सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
एक मजबूत म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले सबसे जरूरी है कि आप अपने वित्तीय लक्ष्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें। चाहे वह रिटायरमेंट प्लान हो, बच्चों की पढ़ाई, घर की खरीद या कोई और सपना – हर लक्ष्य के लिए एक स्पष्ट ब्लूप्रिंट बनाएं जिसमें समय सीमा, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की राशि तय हो। इसके बाद, अपने पोर्टफोलियो के लिए सही एसेट एलोकेशन तय करें – यानी कितना पैसा इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड में लगाया जाए। यह आपकी उम्र, जोखिम सहनशीलता और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है।
साथ ही, अपने मौजूदा निवेशों की समीक्षा ज़रूर करें – कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने एक ही तरह के फंड्स में बार-बार निवेश किया हो, जिससे डाइवर्सिफिकेशन कम हो गया हो। एक बार जब लक्ष्य, रणनीति और होल्डिंग्स साफ हो जाएं, तो आगे बढ़ने से पहले किसी अनुभवी वित्तीय सलाहकार की राय लें। सही रिसर्च और प्लानिंग से बना म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो आपको न सिर्फ स्थिरता देगा, बल्कि समय के साथ आपके सपनों को हकीकत में बदलने की दिशा में भी ले जाएगा।
निवेश करने से पहले क्या विचार करें?
- अपने पैसों का उद्देश्य तय करें – सिर्फ “निवेश” कह देना काफी नहीं; सोचिए कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं – रिटायरमेंट, घर, बच्चों की पढ़ाई या बस सेविंग्स?
- समय और धैर्य को समझें – क्या आप 2 साल में पैसे चाहिए या 10 साल तक भूल सकते हैं? समय तय करना सबसे पहला और जरूरी स्टेप है।
- खुद की रिस्क झेलने की ताकत पहचानें – पैसा डूबने पर आप कितना सह सकते हैं? इसी से तय होगा कि निवेश कितना सुरक्षित या आक्रामक होगा।
- छोटी शुरुआत, बड़ी सीख – ₹500 या ₹1000 से मंथली SIP शुरू करें। इससे ना सिर्फ निवेश शुरू होगा, बल्कि डर भी कम होगा।
- सिर्फ एक जगह पैसा न लगाएं – शेयर, म्यूचुअल फंड, FD, सोना – थोड़ा-थोड़ा हर जगह निवेश करें ताकि एक जगह नुकसान हो तो बाकी बचा लें।
- आपातकाल के लिए कैश का कोना रखें – 3,6 महीने के खर्च जितना पैसा लिक्विड फंड या सेविंग अकाउंट में ज़रूर रखें।
- निवेश को आंख मूंदकर न छोड़ें – हर 6 महीने या साल में चेक करें कि निवेश सही दिशा में जा रहा है या बदलाव की जरूरत है।
- लॉस देखकर घबराएं नहीं, फायदा देखकर लालच न करें – उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन भावनाओं से नहीं, योजना से काम लें।
- पहले से किए गए निवेशों पर नज़र डालें – नया निवेश शुरू करने से पहले देखें कि आपने पहले कहां कितना लगाया है, ताकि दोहराव न हो।
- जरूरत पड़े तो किसी भरोसेमंद फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें – शुरुआत में गाइडेंस जरूरी होती है, और यह कोई कमजोरी नहीं है।
Value Portfolio बनाम Growth Portfolio – कौन है आपके निवेश के लिए बेहतर?
आधार | वैल्यू पोर्टफोलियो (Value Portfolio) | ग्रोथ पोर्टफोलियो (Growth Portfolio) |
सोच (Strategy) | ऐसी कंपनियों में निवेश करना जिनकी कीमत बाज़ार में कम आंकी गई हो, लेकिन असल में वो मजबूत बुनियाद वाली हों। | उन कंपनियों में पैसा लगाना जो तेज़ी से बढ़ रही हैं या जिनका भविष्य में तेज़ ग्रोथ होने की उम्मीद है। |
कीमत कैसी होती है? | अक्सर सस्ते मिलते हैं क्योंकि लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं या अभी उनका सही मूल्य नहीं पहचान पाए होते। | थोड़े महंगे होते हैं क्योंकि इनमें पहले से ही ग्रोथ की संभावना दिख रही होती है और निवेशक पहले ही रुचि दिखा चुके होते हैं। |
रिटर्न कैसा होता है? | धीरे-धीरे लेकिन स्थिर लाभ मिलता है। रिस्क कम होता है, इसलिए रिटर्न भी थोड़ा संतुलित रहता है। | रिटर्न ज़्यादा हो सकता है, लेकिन उतार-चढ़ाव भी ज़्यादा होता है – कभी तेजी से बढ़ेगा, कभी गिरेगा। |
जोखिम कितना होता है? | कम जोखिम क्योंकि निवेश पहले से ही कम दाम में किया गया होता है। | जोखिम थोड़ा अधिक होता है क्योंकि आप ग्रोथ की उम्मीद में महंगे स्टॉक्स ले रहे होते हैं। |
डिविडेंड की संभावना | ज़्यादातर वैल्यू स्टॉक्स डिविडेंड देते हैं क्योंकि ये कंपनियां मुनाफा कमा रही होती हैं। | ग्रोथ कंपनियां मुनाफा दोबारा बिजनेस में लगा देती हैं, इसलिए डिविडेंड कम ही मिलता है। |
उदाहरण (उदाहरणार्थ) | जैसे ITC, ONGC, या Coal India – जिनकी वैल्यू है लेकिन कीमत ज़्यादा नहीं। | जैसे Titan, DMart, या Infosys – जो ग्रोथ की राह पर हैं और निवेशकों के पसंदीदा हैं। |
किसके लिए सही है? | उन लोगों के लिए जो जोखिम से बचना चाहते हैं और स्थिर रिटर्न चाहते हैं। | उन निवेशकों के लिए जो थोड़ा जोखिम उठा सकते हैं और तेज़ रिटर्न की तलाश में हैं। |
देश के सबसे बड़े निवेशकों का पोर्टफोलियो|Portfolio of Top 10 Investors in India
भारत के टॉप 10 निवेशकों की निवेश रणनीति हर नए और अनुभवी निवेशक के लिए एक मार्गदर्शक की तरह होती है। राकेश झुनझुनवाला, मुकेश अंबानी, आशीष कचोलिया, विजय केडिया जैसे बिग बुल्स किन कंपनियों में हिस्सेदारी रखते हैं, और कौन-से स्टॉक्स उनके पसंदीदा निवेश बन चुके हैं यह जानना निवेश की समझ को और बेहतर बना सकता है।
नाम | पोर्टफोलियो मूल्य | स्टॉक्स की संख्या | सेंटर | स्टॉक्स के बारे में |
मुकेश अंबानी और परिवार | ₹383,935.23 करोड़ | 2 | ऑयल & गैस, बैंकिंग और वित्त | रिलायंस इंडस्ट्रीज, जियो फाइनेंशियल |
राधाकिशन दमानी | ₹189,032.79 करोड़ | 13 | रिटेलिंग, खाद्य और पेय, बैंकिंग और वित्त | एवेन्यू सुपरमार्ट्स, ट्रेंट, वीएसटी इंडस्ट्रीज़ |
प्रेमजी और एसोसिएट्स | ₹181,893.39 करोड़ | 1 | सॉफ़्टवेयर और सेवाएं | विप्रो |
राकेश झुनझुनवाला और एसोसिएट्स | ₹60,572.46 करोड़ | 26 | उपभोक्ता सेवाएं, वस्त्र, बैंकिंग और वित्त | टाइटन कंपनी, इन्वेंचरस नॉलेज, स्टार हेल्थ |
रेखा झुनझुनवाला | ₹39,307.92 करोड़ | 25 | वस्त्र, बैंकिंग और वित्त, ऑटोमोबाइल्स | टाइटन कंपनी, टाटा मोटर्स, मेट्रो ब्रांड्स |
मुकुल अग्रवाल | ₹7,317.14 करोड़ | 64 | बैंकिंग और वित्त, फार्मास्युटिकल्स, औद्योगिक | बीएसई, न्यूलैंड लैबोरेट्रीज़, रेडिको खेतान |
आकाश भंसाली | ₹6,283.02 करोड़ | 17 | रसायन, औद्योगिक, सॉफ़्टवेयर और सेवाएं | गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स, पेटीएम, सुदर्शन केमिकल्स |
आशीष धवन | ₹3,356.91 करोड़ | 14 | बैंकिंग और वित्त, फार्मास्युटिकल्स, सॉफ़्टवेयर | ग्लेनमार्क फार्मा, IDFC फर्स्ट बैंक, M&M फाइनेंशियल |
निमिष एस शाह | ₹3,084.29 करोड़ | 7 | औद्योगिक, ऑटोमोबाइल्स, खाद्य एवं पेय | लक्ष्मी मशीन, असाही ग्लास, एल्गी इक्विपमेंट्स |
मधुसूदन केला | ₹2,607.7 करोड़ | 14 | बैंकिंग और वित्त, सॉफ़्टवेयर, औद्योगिक | च्वाइस इंटरनेशनल, एमकेवेंचर्स कैपिटल, विंडसर मशीन |
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पोर्टफोलियो से जुड़े सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- पोर्टफोलियो का मतलब क्या होता है?
पोर्टफोलियो आपके उन सभी निवेशों का पूरा खाका होता है, जहाँ आपने पैसे लगाए हैं। इसमें शेयर, म्यूचुअल फंड, एफडी, सोना, जमीन या कोई और संपत्ति भी शामिल हो सकती है। यह आपके पैसों की स्थिति और रणनीति को एक जगह दिखाता है।
- क्या पोर्टफोलियो बनाने के लिए बहुत पैसा होना ज़रूरी है?
बिलकुल नहीं। आप ₹500 जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू करके पोर्टफोलियो बना सकते हैं। असली ज़रूरत पैसों की नहीं, सोच और समझ की होती है।
- पोर्टफोलियो में कौन-कौन सी चीज़ें रख सकते हैं?
आप अपने पोर्टफोलियो में शेयर, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, सोना, पीपीएफ, एनपीएस, और यहां तक कि बैंक एफडी जैसे सुरक्षित विकल्प भी रख सकते हैं।
- क्या हर किसी का पोर्टफोलियो एक जैसा होना चाहिए?
नहीं, क्योंकि हर व्यक्ति के लक्ष्य, उम्र, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि अलग होती है। किसी युवा का पोर्टफोलियो आक्रामक हो सकता है, वहीं एक रिटायर्ड व्यक्ति का पोर्टफोलियो ज़्यादा सुरक्षित।
- पोर्टफोलियो का बैलेंस कैसे बनाए रखें?
आपको अपने पोर्टफोलियो की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए। अगर किसी एसेट क्लास में ज़्यादा निवेश हो गया है या प्रदर्शन अच्छा नहीं है, तो थोड़ा बदलाव करना ज़रूरी हो जाता है।
- पोर्टफोलियो की निगरानी कैसे करें?
आप मोबाइल ऐप्स, एक्सेल शीट या अपने फाइनेंशियल एडवाइज़र की मदद से अपने निवेश पर नजर रख सकते हैं। हर 6 महीने में एक बार उसे ज़रूर रिव्यू करें।
- डायवर्सिफिकेशन क्यों जरूरी होता है?
अगर आपने सभी पैसे एक ही जगह लगाए और वो सेक्टर गिर गया, तो नुकसान ज़्यादा होगा। लेकिन अगर पैसा अलग-अलग जगह लगाया है, तो एक जगह का घाटा दूसरी जगह से कवर हो सकता है।
- क्या म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकता है?
हां, और होना भी चाहिए। म्यूचुअल फंड एक अच्छा तरीका है विविधता लाने का, खासकर तब जब आपके पास शेयर मार्केट की समझ कम हो।
- क्या नौसिखियों को पोर्टफोलियो बनाने के लिए सलाह लेनी चाहिए?
अगर आपको निवेश की जानकारी नहीं है, तो किसी भरोसेमंद वित्तीय सलाहकार से शुरुआती गाइडेंस लेना समझदारी है। इससे गलत फैसले से बचा जा सकता है।
- क्या पोर्टफोलियो बनाना एक बार का काम है?
नहीं, पोर्टफोलियो एक बार बनाकर छोड़ देने की चीज़ नहीं है। जैसे आपके लक्ष्य और परिस्थितियां बदलती हैं, वैसे-वैसे पोर्टफोलियो को भी अपडेट करना ज़रूरी होता है।
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