पैकेजिंग क्या है, इसके तीन मुख्य कार्य और जरूरी मशीनें|Packaging in Hindi

पैकेजिंग क्या है और यह क्यों जरूरी है, इसे समझना ज़रूरी है। यह सामान को इस तरह से लपेटने व संभालकर रखने का तरीका है कि वह टूटे, गंदा न हो तथा आसानी से लोगों तक पहुँच सके। सही पैक न केवल सामान को धूल, नमी तथा खराब होने से बचाता है, बल्कि उस पर लिखी जानकारी – जैसे नाम, कीमत, तारीख, उपयोग का तरीका – खरीदने वाले को चीज़ पहचानने में मदद करती है। सीधे शब्दों में कहें तो पैकेजिंग वह ढक्कन है जो चीज़ को सुरक्षित रखता और पहचानने में आसान बनाता है।

इस काम के लिए कई तरह की मशीनों का इस्तेमाल होता है, जिनमें से 10 सबसे महत्वपूर्ण प्रकार हर उद्योग में काम आते हैं। इन मशीनों से काम तेज, सुरक्षित और व्यवस्थित होता है। इस पोस्ट में हम पैकेजिंग के बारे में पूरी जानकारी, इसकी प्रमुख मशीनों के प्रकार और उनकी कीमत सरल भाषा में विस्तार से जानेंगे।

पैकेजिंग के तीन प्रकार (Types of Packaging)

  1. सुरक्षा और संरक्षण (Protection):

पैकेजिंग का मुख्य उद्देश्य उत्पाद की सुरक्षा करना है। यह टूट-फूट, रिसाव, नमी या तापमान से होने वाले नुकसान से बचाती है और उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखती है। सही ढंग से किया गया आवरण उत्पादन में होने वाले नुकसान और लागत को भी घटाता है।

  1. परिवहन और हैंडलिंग (Transportation):

उत्पाद अक्सर फैक्ट्री से स्टोर या ग्राहक तक लंबी यात्रा करता है। इसलिए इसे मजबूत और टिकाऊ बनाना जरूरी है, ताकि यात्रा के दौरान झटके, गिरावट या दबाव से नुकसान न हो। साथ ही, आकार और वजन शिपिंग लागत और भंडारण की सुविधा के अनुसार तय किए जाते हैं।

  1. सूचना और विपणन (Communication):

अच्छी पैकेजिंग ग्राहक को उत्पाद के बारे में जानकारी देती है और बिक्री बढ़ाने में मदद करती है। आकर्षक डिजाइन, रंग तथा ब्रांडिंग के माध्यम से यह ग्राहकों का ध्यान खींचती है और उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित करती है। साथ ही, यह उत्पाद की गुणवत्ता व विश्वसनीयता का संदेश भी देती है।

पैकिंग कंपनी कैसे शुरू करें?

पैकिंग का व्यवसाय शुरू करना आज के समय में एक अच्छा अवसर है, लेकिन इसके लिए सही योजना बनाना बहुत जरूरी है। सबसे पहले यह तय करें कि आप किस तरह की पैकिंग करना चाहते हैं, जैसे कस्टम बॉक्स, फूड-सेफ पैकिंग, फ्लेक्सिबल पैकिंग या पर्यावरण के अनुकूल पैकिंग। मार्केट को समझें, देखें कि लोग किस तरह की पैकिंग पसंद करते हैं और प्रतियोगी क्या कर रहे हैं। इसके बाद अपने व्यवसाय की सेवाएँ, संचालन, खर्च और मार्केटिंग की योजना तैयार करें।

फिर कानूनी और संचालन की तैयारियाँ पूरी करें। अपने व्यवसाय को रजिस्टर करें, GST तथा जरूरी लाइसेंस लें और अलग बैंक खाता खोलें। अपने काम के लिए सही जगह चुनें, भरोसेमंद मटेरियल सप्लायर ढूंढें तथा आवश्यक मशीनों में निवेश करें। अपने ब्रांड का नाम और लोगो बनाएं, वेबसाइट तैयार करें। सोशल मीडिया व डिजिटल मार्केटिंग के जरिए ग्राहकों तक पहुँच बनाएं। इन सब बातों को ध्यान में रखकर आप अपने पैकिंग व्यवसाय को सुरक्षित, व्यवस्थित और सफल बना सकते हैं।

पैकेजिंग मशीनों के 10 प्रकार (10 Types of Packaging Machinesपैकेजिंग मशीनों के 10 प्रकार

 

1. कैपिंग मशीन (Capping machine)

कैपिंग मशीन एक ऐसा उपकरण है जो बोतलों या कंटेनरों पर ढक्कन लगाकर उत्पाद को लीक, गंदगी और छेड़छाड़ से सुरक्षित बनाती है। यह मशीन प्लास्टिक या धातु के ढक्कनों को स्क्रू कैप, क्रिम्प या ROPP तकनीक से सही तरीके से कसती है। इसमें ढक्कन फीडर, बोतल कन्वेयर तथा टॉर्क कंट्रोल जैसे मुख्य हिस्से होते हैं, जो हर बोतल पर ढक्कन सटीक व मजबूत ढंग से लगाते हैं। कैपिंग मशीन अलग-अलग आकार और गति की होती है; मैनुअल, सेमी-ऑटो या फुली ऑटो विकल्प उपलब्ध हैं। यह मशीन फ़ूड, फ़ार्मा और कॉस्मेटिक उद्योगों में पैकेजिंग प्रक्रिया को तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए जरूरी है।

2. फिलिंग मशीन (Filling machines)

फिलिंग मशीन एक ऐसा उपकरण है जो बोतल, जार या पाउच में तरल, पाउडर या पेस्ट को सही मात्रा में भरती है, जिससे उत्पादन तेज, साफ और भरोसेमंद रहता है। यह मशीन पिस्टन, पंप या ऑगर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करती है और कई बार कैपिंग व सीलिंग जैसी पैकिंग प्रक्रिया के साथ भी जुड़ी रहती है। कंटेनर मशीन में आते हैं, सेंसर उन्हें पहचानते हैं, मशीन सही मात्रा में उत्पाद भर देती है और फिर कंटेनर अगले स्टेज पर भेज दिया जाता है। यह उपकरण सेमी-ऑटोमैटिक से लेकर पूरी तरह ऑटोमैटिक हाई-स्पीड सिस्टम तक हो सकता है। फिलिंग मशीन की खासियत है सटीकता, स्वच्छता तथा अलग-अलग प्रकार के उत्पाद व कंटेनर में भरने की क्षमता, जो पैकेजिंग प्रक्रिया को सरल और भरोसेमंद बनाती है।

3. फ्लो रैपर मशीन (Flow wrappers)

फ्लो रैपर मशीन एक तेज़ और पूरी तरह ऑटोमैटिक सिस्टम है, जो स्नैक्स, कैंडी, दवाइयाँ व बेक्ड आइटम को लगातार एक फिल्म में लपेटकर हॉरिज़ॉन्टल पैकेजिंग तैयार करती है। मशीन में फिल्म रोल को “बैग फॉर्मर” से ट्यूब के आकार में ढाला जाता है, फिर इसे लंबवत और साइड सील किया जाता है। यह मशीन 40 से 300 से अधिक पैक प्रति मिनट की गति से काम करती है; PLC/HMI टचस्क्रीन से तापमान, लंबाई व गति नियंत्रित की जाती हैं। इसका उपयोग बड़े पैमाने पर पैकेजिंग में किया जाता है और यह उत्पाद की सुरक्षा, लंबी शेल्फ लाइफ व पैकेजिंग की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है।

4. वैक्यूम सीलर मशीन (Vacuum sealers)

वैक्यूम सीलर मशीन एक ऐसा उपकरण है जो खाद्य या अन्य उत्पादों को पैक करते समय उनसे सारी हवा निकाल देता है और उन्हें पूरी तरह बंद कर देता है। इससे उत्पाद लंबा समय तक सुरक्षित रहता है, उसका स्वाद व पोषण सुरक्षित रहता है तथा बैक्टीरिया या ऑक्सीजन से होने वाले नुकसान से बचता है। यह मशीन छोटे घरेलू मॉडल से लेकर बड़े औद्योगिक सिस्टम तक उपलब्ध है और बैग, कंटेनर या बॉक्स जैसे विभिन्न पैकेजिंग विकल्पों में काम करती है।

मशीन में हवा निकालने के लिए पंप व सीलिंग के लिए गर्म रोलर या पट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। वैक्यूम सीलर का उपयोग रेस्तरां, खाद्य उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स व कंज्यूमर गुड्स में बड़े पैमाने पर किया जाता है क्योंकि यह पैकेजिंग को सुरक्षित, साफ और लंबे समय तक टिकाऊ बनाता है।

5. वर्टिकल फॉर्म फिल सील (Vertical form fill seal machine)

वर्टिकल फॉर्म फिल सील (VFFS) मशीन एक ऑटोमैटिक पैकेजिंग सिस्टम है जो रोल वाली फिल्म से पाउच बनाकर उसमें उत्पाद भरती और उसे पूरी तरह सील कर देती है। यह पाउडर, दाने, तरल या ठोस जैसे स्नैक्स, मसाले, कॉफी व दवाइयों के पैकेजिंग के लिए बेहद उपयुक्त है। मशीन में फिल्म अनविंडर, फॉर्मिंग ट्यूब, फिलिंग सिस्टम, सीलिंग जॉ और कट्टर शामिल होते हैं, जो पिलो, गसेटेड व अन्य बैग स्टाइल में उच्च गति व सटीकता के साथ काम करते हैं। यह मशीन लगातार और तेज़ उत्पादन सुनिश्चित करती है, सटीक मात्रा भरती है और विभिन्न उत्पादों व बैग आकारों के लिए लचीली है। ऑटोमेटिक फिलर्स जैसे ऑगर या मल्टी-हेड वीज़र के साथ आसानी से जुड़ी जा सकती है।

6. ब्लिस्टर पैकेजिंग मशीनें (Blister packaging machines)

ब्लिस्टर पैकेजिंग मशीनें प्लास्टिक की शीट को गर्म करके छोटे खानों में बदल देती हैं, फिर उनमें टैबलेट, कैप्सूल, कैंडी या छोटे उत्पाद अपने-आप डालती हैं और ऊपर से एल्युमिनियम फॉइल लगाकर गर्मी व दबाव से मज़बूती से सील कर देती हैं। इसके बाद मशीन इन्हें काटकर साफ, सुरक्षित व आसानी से पहचानने वाले पैक के रूप में बाहर निकालती है। पूरी प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, जिससे पैकिंग तेज़, एक जैसी और भरोसेमंद मिलती है। दवा व खाद्य उद्योग में इनका इस्तेमाल इसलिए ज़्यादा होता है क्योंकि ये सफाई, सुरक्षा व उत्पाद की उम्र तीनों को बेहतर बनाती हैं, जबकि PLC कंट्रोल, कैमरा चेकिंग और ऑन-लाइन प्रिंटिंग जैसी सुविधाएँ काम को आसान और सटीक बना देती हैं।

7. लेबलिंग मशीन (Labeling machine)

लेबलिंग मशीन किसी उत्पाद पर उसका नाम, जानकारी या बारकोड साफ़ और सही जगह पर चिपकाने के लिए इस्तेमाल होती हैं, जहाँ लेबल डिस्पेंसर, कन्वेयर, सेंसर, लेबलिंग हेड और PLC कंट्रोल मिलकर हर लेबल को सटीक तरीके से लगा देते हैं। ये मशीनें गोल बोतलों पर रैप-अराउंड लेबल, चौकोर पैक पर साइड या टॉप लेबल तथा ज़रूरत पड़ने पर प्रिंट-एंड-अप्लाई जैसे काम भी आसानी से संभाल लेती हैं। सर्वो मोटर और सेंसर की वजह से लेबल बिना सिलवट और बिना गलती के लगता है, जबकि HMI स्क्रीन उन्हें चलाना सरल बना देती है।

छोटे बैच के लिए सेमी-ऑटो तथा बड़े उत्पादन के लिए फुली-ऑटो मशीनें 100-150 से ज़्यादा पैक प्रति मिनट तक की रफ़्तार से काम कर लेती हैं, इसलिए फ़ार्मा, FMCG व फ़ूड इंडस्ट्री इन्हें तेज़, भरोसेमंद और प्रोफेशनल पैकिंग के लिए खूब इस्तेमाल करती हैं।

8. स्ट्रैपिंग मशीन (Strapping Machine)

स्ट्रैपिंग मशीन पैक किए गए बॉक्स, पैकेट या पैलेट को प्लास्टिक या स्टील की स्ट्रैप बेल्ट से कसकर सुरक्षित बनाती है, ताकि परिवहन या स्टोरेज में सामान ढीला या टूटे नहीं। ये मैनुअल, सेमी-ऑटो तथा फुली ऑटो होती हैं और स्ट्रैप डालने, कसने, सील करने व काटने का काम करती हैं। आधुनिक मशीनों में ऑटो-फीड, हीट सील, सेंसर व PLC कंट्रोल जैसी सुविधाएँ होती हैं, जो स्ट्रैप को सही जगह और सही ताकत से लगाती हैं। तकनीकी जानकारी में स्ट्रैप चौड़ाई 6–15mm, गति 1.5–2.5 सेकंड प्रति स्ट्रैप, पावर 110/220V और टेंशन 15–80kg होती है।

9. कार्टोनिंग मशीन (Cartoning machine)

कार्टोनिंग मशीन फ्लैट कार्टन को तैयार करके उसमें उत्पाद जैसे फ़ार्मा, फ़ूड या छोटे आइटम भरती है और बॉक्स को सुरक्षित बंद कर देती है। यह होरिज़ॉन्टल या वर्टिकल लोडिंग, कन्वेयर सिस्टम, PLC कंट्रोल तथा गोंद या टक-इन क्लोज़र जैसी सुविधाओं के साथ आती है, जिससे हर बॉक्स सही व एक जैसी क्वालिटी में पैक होता है। इससे पैकिंग तेज़, व्यवस्थित और भरोसेमंद बनती है, मैनुअल काम कम होता है तथा फ़ूड, फ़ार्मा, कॉस्मेटिक व FMCG उद्योगों में बड़े पैमाने पर सटीक पैकिंग संभव होती है।

10. कन्वेयर मशीन (Conveyors)

कन्वेयर मशीन पैकेजिंग मशीन में एक अहम हिस्सा है क्योंकि यह उत्पादों को लाइन पर एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक तेज़ और व्यवस्थित ढंग से पहुंचाती है। उदाहरण के लिए, यह फ्लो रैपर, कार्टोनिंग, बैगर, कैपिंग या ट्रे सीलर जैसी मशीनों के बीच माल को लगातार मूव कराती है, जिससे उत्पादन बिना रुकावट चलता है। इसके इस्तेमाल से समय की बचत होती है, मैनुअल मेहनत कम होती है और प्रक्रिया सुरक्षित और समान रहती है, साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

पैकेजिंग मशीन कितने की आती है?

पैकेजिंग मशीन की कीमत मशीन के प्रकार, उसकी क्षमता और उसमें मौजूद ऑटोमेशन पर निर्भर करती है। छोटी या बेसिक मशीनें, जो सिर्फ साधारण पैकिंग का काम करती हैं, लगभग 1 लाख रुपये के आसपास मिल जाती हैं और आसानी से उपलब्ध रहती हैं। इसके बाद मिड-रेंज मशीनें आती हैं, जैसे पाउच पैकिंग, फ्लो रैपर या छोटी ऑटोमेटिक लाइनें, जिनकी कीमत लगभग 2 लाख से 5 लाख रुपये तक जा सकती है।

बड़े स्तर पर इस्तेमाल होने वाली हाई-स्पीड तथा पूरी तरह ऑटोमैटिक मशीनें, जिनमें सेंसर, PLC कंट्रोल व कई तरह की पैकिंग सुविधाएँ होती हैं, उनकी कीमत 6 लाख रुपये से ऊपर भी जा सकती है। असल कीमत इस बात पर तय होती है कि मशीन से कितना उत्पादन चाहिए तथा किस इंडस्ट्री में उपयोग होना है।

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पैकेजिंग में कौन सी गैस भरी जाती है?

पैकेजिंग में ज्यादातर नाइट्रोजन गैस भरी जाती है। यह गैस पैक के अंदर मौजूद ऑक्सीजन को हटाकर उत्पाद को खराब होने, रंग बदलने या स्वाद बिगड़ने से बचाती है। नाइट्रोजन पूरी तरह सुरक्षित, बिना गंध और बिना स्वाद वाली गैस है, इसलिए यह उत्पाद पर कोई असर नहीं डालती। पैकेट में हल्का दबाव बनाकर यह नाज़ुक सामान, जैसे स्नैक्स, को टूटने से भी बचाती है।

इस तरीके को MAP (Modified Atmosphere Packaging) कहा जाता है, जिसमें पैक की हवा बदलकर ऐसा माहौल बनाया जाता है कि उत्पाद लंबे समय तक ताज़ा रहे। कुछ विशेष पैकेजिंग में नाइट्रोजन के साथ CO₂ या आर्गन जैसी गैसें भी मिलाई जाती हैं, लेकिन सामान्य पैकेजिंग में नाइट्रोजन ही सबसे अधिक इस्तेमाल की जाती है।

एक अच्छी पैकेजिंग के क्या गुण होने चाहिए?

एक अच्छी पैकेजिंग में सबसे पहले सुरक्षा होनी चाहिए, ताकि उत्पाद टूटने, खराब होने या बाहरी गंदगी से बचा रहे। इसके साथ ही यह मजबूत व टिकाऊ होना चाहिए, ताकि परिवहन या हैंडलिंग के दौरान कोई नुकसान न हो। डिज़ाइन ऐसा होना चाहिए कि ग्राहक का ध्यान तुरंत आकर्षित करे और उत्पाद के बारे में पूरी जानकारी दे, जैसे सामग्री, उपयोग विधि व एक्सपायरी डेट। इसे खोलना व इस्तेमाल करना आसान होना चाहिए, साथ ही पर्यावरण का ध्यान रखते हुए रिसाइकल या बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए। अंत में, पैकेजिंग ब्रांड की पहचान बनाए रखे और ग्राहकों में भरोसा पैदा करे।

भारत की सबसे बड़ी पैकेजिंग कंपनी कौन सी है?

भारत में पैकेजिंग के काम में UFlex Ltd को सबसे बड़ी और आगे बढ़ी हुई कंपनी माना जाता है, क्योंकि यह बहुत तरह की फ़्लेक्सिबल पैकेजिंग बनाती है, बड़ी मात्रा में उत्पादन करती है और देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपना काम फैलाए हुए है; इसी वजह से इसे भारतीय पैकेजिंग उद्योग में एक मजबूत और भरोसेमंद नाम समझा जाता है।

पैकिंग और पैकेजिंग में क्या अंतर है?

पैकिंग (Packing)पैकेजिंग (Packaging)
उत्पाद को सुरक्षित रखना और ट्रांसपोर्ट या स्टोरिंग के दौरान नुकसान से बचानाउत्पाद को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करना, ब्रांड दिखाना और ग्राहक को लुभाना
मुख्य ध्यान सुरक्षा और यात्रा के दौरान व्यवस्थित रखनामुख्य ध्यान मार्केटिंग, ब्रांडिंग और ग्राहक अनुभव पर रखना
इस्तेमाल होने वाली सामग्री: बबल रैप, फोम, टेप, कुस्शनिंगइस्तेमाल होने वाली सामग्री: बॉक्स, लेबल, कंटेनर, रंग और ग्राफिक्स
अस्थायी होता है, केवल सामान के ले जाने तकस्थायी होता है, उत्पाद के साथ बिक्री और उपयोग तक रहता है
उदाहरण: नाज़ुक वस्तु को शिपिंग बॉक्स में फोम से सुरक्षित रखनाउदाहरण: टूथपेस्ट की बोतल का बॉक्स जिसमें ब्रांड और जानकारी छपी हो

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निष्कर्ष

पैकेजिंग किसी भी व्यवसाय तथा उत्पाद के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामान को सुरक्षित रखती है और ग्राहक को सही जानकारी देती है। सही मशीन चुनने से समय, लागत व गुणवत्ता की बचत होती है। इस लेख में बताए गए 10 प्रमुख मशीनों को समझकर आप अपने व्यवसाय के लिए भरोसेमंद और उपयुक्त समाधान चुन सकते हैं।

 

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