Indian Railway Finance Corporation (IRFC) Profile, History, and Key Services in Hindi
IRFC कंपनी प्रोफाइल, इतिहास, संचालन, MD, मालिक, नेटवर्थ, विजन & मिशन और अधिक (Indian Railway Finance Corporation company details in hindi)
भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) एक सरकारी संगठन है, जो भारत सरकार के रेल मंत्रालय के तहत काम करता है। इसका उद्देश्य रेलवे के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन जुटाना है, जो इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं। यह एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के तहत रजिस्टर्ड है। Indian Railway Finance Corporation रेलवे को लीज़ पर विभिन्न परिसंपत्तियां देती है और अब तक रेलवे के कुल रोलिंग स्टॉक का बड़ा हिस्सा फाइनेंस कर चुकी है। इसके अलावा, यह अन्य रेलवे कंपनियों को भी फंड उपलब्ध कराती है। IRFC भारतीय रेलवे की जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न वित्तीय साधनों का उपयोग करती है।
कंपनी प्रोफाइल (Profile)
नाम | Indian Railway Finance Corporation (IRFC) |
इंडस्ट्री | फाइनेंशियल सर्विसेज |
शुरुवात की तारीख | 12 दिसंबर 1986 |
मुख्य लोग | Ms. Shelly Verma (MD) |
मुख्यालय | नई दिल्ली |
स्टॉक एक्सचेंज | BSE:543257, NSE:IRFC |
मार्किट कैप (Market Cap) | ₹1,81,522 करोड़ |
राजस्व (Revenue) | ₹26,656 करोड़ (वित्त वर्ष 2024) |
कुल संपत्ति (Total Asset) | ₹4,88,834.68 करोड़ (वित्त वर्ष 2025) |
नेटवर्थ (Net Worth) | ₹49,179 करोड़ (वित्त वर्ष 2024) |
मालक | भारतीय रेलवे, रेल मंत्रालय, भारत सरकार |
वेबसाइट | www.irfc.co.in |
कंपनी के बारे में (About Company)
Indian Railway Finance Corporation (IRFC) रेल मंत्रालय के तहत एक सरकारी कंपनी है, जो 1986 में स्थापित हुई थी। इसका मुख्य काम भारतीय रेलवे के लिए पैसे जुटाना है, जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से लाया जाता है। यह पैसा रेलवे के लोकोमोटिव, यात्री कोच, वैगनों और इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में खर्च होता है।
पिछले 30 वर्षों में, IRFC ने भारतीय रेलवे की क्षमता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। इसकी फाइनेंसिंग आमतौर पर 30 साल की लीज़ अवधि पर आधारित होती है, जिसमें पहले 15 साल की मुख्य अवधि और बाद में 15 साल की अतिरिक्त अवधि होती है।
इसके अलावा, IRFC रेलवे क्षेत्र की कई कंपनियों को भी लोन देती है, जैसे रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), रेलटेल, कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL), और पिपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PRCL)। अब तक, IRFC ने भारतीय रेलवे के लिए 13,764 लोकोमोटिव, 76,735 यात्री कोच, और 2,65,815 वैगन खरीदने में मदद की है, जो भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक का लगभग 75% है।
Indian Railway Finance Corporation History (IRFC का इतिहास)
- RFC का गठन 12 दिसंबर 1986 को एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर किया गया था।
- 23 दिसंबर 1986 को ROC से व्यवसाय शुरू करने का प्रमाण पत्र मिला।
- 8 अक्टूबर 1993 को MCA ने सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के रूप में वर्गीकृत किया।
- 16 फरवरी 1998 को गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान के रूप में पंजीकरण हुआ।
- 17 मार्च 2008 को इसे ऐसी एनबीएफसी के रूप में मान्यता दी गई जो डिपॉजिट स्वीकार नहीं करती और एसेट फाइनेंस में काम करती है।
- 22 नवंबर 2010 को NBFC-ND-IFC के रूप में पुनः वर्गीकृत किया गया।
- 2011-12 से रेलवे परियोजनाओं और क्षमता बढ़ाने के लिए फंडिंग शुरू की।
- 31 मार्च 2017 तक रेल क्षेत्र के लिए ₹1.80 लाख करोड़ से अधिक की फंडिंग दी। मार्च 2018 तक यह ₹2.20 लाख करोड़ से अधिक होने की तैयारी में थी।
- इस फंड का उपयोग रोलिंग स्टॉक और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में किया गया।
- 2019-20 तक ₹1.50 लाख करोड़ की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
- 2020-21 में PM CARES फंड में ₹30 करोड़ का योगदान दिया। पहले ₹34 करोड़ और कर्मचारियों की एक दिन की सैलरी के साथ कुल ₹64 करोड़ का योगदान किया।
- 15 दिसंबर 2021 तक 86.36% शेयर भारत सरकार (रेल मंत्रालय) के पास थे, और 13.64% जनता के पास।
- 13 जनवरी 2022 को IRFC ने 500 मिलियन डॉलर के बॉन्ड्स को India INX और NSE-IFSC पर सूचीबद्ध किया।
- 31 मार्च 2022 तक ₹04 लाख करोड़ से अधिक की फंडिंग दी गई, जो रोलिंग स्टॉक और रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में उपयोग हुई।
संचालन (Operation)
उधार (Borrowing)
Indian Railway Finance Corporation मुख्य रूप से भारतीय रेलवे के विकास और आधुनिकीकरण के लिए पैसे इकट्ठा करता है। इसके लिए, यह अलग-अलग तरीके अपनाता है जैसे घरेलू और विदेशी बॉंड्स, बैंकों से लोन, और बाहरी वाणिज्यिक कर्ज। इसके साथ ही, IRFC समय-समय पर टैक्सेबल और टैक्स-फ्री बांड्स भी जारी करता है और भारत सरकार से भी इक्विटी प्राप्त करता है। कंपनी का मुख्य उद्देश्य उधारी की लागत को कम करना है, ताकि भारतीय रेलवे को सस्ते कर्ज का फायदा मिले और रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर और आधुनिकीकरण में तेजी से काम हो सके।
लिसिंग (leasing)
Indian Railway Finance Corporation भारतीय रेलवे को अपनी ज़रूरत की मशीनरी और इंफ्रास्ट्रक्चर किराए पर देती है। यह रेलवे के लिए लोकोमोटिव, वैगन और अन्य जरूरी सामान खरीदकर, बाद में रेलवे को किराए पर दे देती है। IRFC का यह तरीका 30 साल के लिए होता है, जिसमें पहले 15 साल की मुख्य अवधि होती है और फिर 15 साल की अतिरिक्त अवधि होती है। इस दौरान कंपनी अपनी रकम और ब्याज की वसूली करती है। जब किराया खत्म होता है, तो वह सामान रेलवे मंत्रालय को कम कीमत पर दे दिया जाता है। रेलवे मंत्रालय हर 6 महीने में किराया चुकाता है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं।
लैंडिंग (Lending)
IRFC भारतीय रेलवे और उससे जुड़ी कंपनियों को मुख्य रूप से ऋण देती है। हालांकि, अब कंपनी अपनी वित्तीय योजना को और मजबूत करने के लिए गैर-रेलवे परियोजनाओं में भी निवेश कर रही है। इसके लिए IRFC विभिन्न स्रोतों से धन जुटाती है, जैसे इक्विटी निवेश, बॉंड्स, और बैंकों से प्राप्त ऋण। इसके अलावा, IRFC भारतीय रेलवे की विभिन्न कंपनियों को भी फंड प्रदान करती है, जैसे रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड, रेल भूमि विकास प्राधिकरण, रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, और पिपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड। इन फंड्स का उपयोग मुख्य रूप से रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और विस्तार में किया जाता है।
आईपीओ (IRFC IPO)
Indian Railway Finance Corporation (IRFC) ने अपना आईपीओ 18 से 20 जनवरी 2021 तक जारी किया, जिसमें शेयर की कीमत ₹25 से ₹26 प्रति शेयर रखी गई थी। निवेशकों के लिए कम से कम 575 शेयरों का लॉट साइज था। इस आईपीओ से कंपनी ₹4,633.4 करोड़ जुटाने का इरादा रखती थी, जिसमें से ₹1,398 करोड़ एंकर निवेशकों से पहले ही हासिल किए गए थे। कुल 178 करोड़ शेयरों की पेशकश की गई थी, जिनमें 119 करोड़ शेयर नए इश्यू थे और 59.4 करोड़ शेयर ऑफर फॉर सेल थे।
IPO के बाद, भारतीय सरकार की हिस्सेदारी 100% से घटकर 86.4% रह गई। 29 जनवरी 2021 को IRFC के शेयर BSE और NSE पर ₹25 और ₹24.90 के स्तर पर लिस्ट हुए, जो इश्यू प्राइस से थोड़ा कम था। शुरुआती गिरावट के बाद, 2024 तक इन शेयरों में शानदार उछाल आया।, और इश्यू प्राइस से लगभग 400% का रिटर्न दिया, जो रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश और कंपनी के अच्छे प्रदर्शन के कारण हुआ।
शेयर होल्डिंग (Shareholding Pattern)
मार्च 2025 में IRFC के मालिकाना ढांचे में कुछ बदलाव हुए। प्रमोटर्स का हिस्सा 86.36% पर वैसा का वैसा बना रहा। खुदरा और अन्य निवेशकों की हिस्सेदारी 11.32% हो गई, जबकि घरेलू संस्थाओं का हिस्सा 1.13% तक पहुंचा। विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर 0.98% हो गई और म्यूचुअल फंड्स का हिस्सा 0.21% रह गया। कुल मिलाकर, कंपनी के मालिकाना ढांचे में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, लेकिन संस्थाओं के बीच थोड़ी सतर्कता देखने को मिली।
All values in % | Mar-25 | Dec-24 | Sep-24 |
Promoter | 86.36 | 86.36 | 86.36 |
Retail and other | 11.32 | 11.39 | 11.46 |
Other domestic institutions | 1.13 | 1.00 | 0.93 |
Foreign institution | 0.98 | 1.01 | 1.09 |
Mutual funds | 0.21 | 0.24 | 0.15 |
पुरस्कार और मान्यताएं (Awards and Recognitions)
- IRFC ने डन एंड ब्रैडस्ट्रीट पीएसयू अवार्ड्स 2021 में ‘सर्वश्रेष्ठ मिनीरत्न’ का पुरस्कार जीता।
- 2022 में, Indian Railway Finance Corporation के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अमिताभ बनर्जी को मुंबई में आयोजित वर्ल्ड एचआरडी कांग्रेस में ‘CEO with HR Orientation’ पुरस्कार से नवाजा गया।
- 2023 में, IRFC को मुंबई में हुए एक सम्मेलन में “प्राइवेट प्लेसमेंट” श्रेणी में उपविजेता पुरस्कार मिला, जिसे ASSOCHAM4India द्वारा प्रदान किया गया।
विजन & मिशन
विजन (Vision): रेल मंत्रालय के साथ मिलकर काम करते हुए रेल परिवहन क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण वित्तीय सेवा कंपनी बनना।
मिशन (Mission): IRFC को देश की प्रमुख वित्तीय सेवा कंपनियों में से एक बनाना ताकि रेलवे योजनाओं के लिए पूंजी बाजार से कम लागत पर धन जुटाया जा सके और निगम अपने काम से अधिकतम लाभ कमा सके।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
IRFC कंपनी क्या काम करती है?
IRFC का मुख्य काम भारतीय रेलवे के लिए ज़रूरी सामान खरीदने या बनाने के लिए पैसे जुटाना है। यह कंपनी रेलवे के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से फंड इकट्ठा करती है और अतिरिक्त बजटीय ज़रूरतों को भी पूरा करती है।
आईआरएफसी का मालिक कौन है?
IRFC पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है और यह रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। 2024-25 की तीसरी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, भारत सरकार के पास कंपनी के 86.36% शेयर हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
IRFC ने 12 दिसंबर 1986 से लेकर अब तक भारतीय रेलवे को जरूरी वित्तीय मदद दी है। कंपनी ने रेलवे के लिए गाड़ियाँ, कोच और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने के लिए धन जुटाया है और इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। कंपनी की मजबूत प्रदर्शन और उच्च क्रेडिट रेटिंग को देखते हुए, इसके शेयर की कीमत भविष्य में बढ़ सकती है। आने वाले समय में भी, Indian Railway Finance Corporation भारतीय रेलवे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।