Hindustan Copper Limited (HCL): एक ऐतिहासिक यात्रा
हिंदुस्तान कॉपर कंपनी प्रोफाइल, इतिहास, सर्विस, चैयरमेन, मालिक, नेटवर्थ, खदानें और अधिक (Hindustan Copper company details in hindi)
Hindustan Copper Limited (HCL) एक सरकारी उपक्रम है, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है। यह कंपनी 1967 में स्थापित हुई और ताम्बे के खनन से लेकर शोधन और उत्पाद बनाने तक की पूरी प्रक्रिया में संलग्न है। HCL का ताम्बा विभिन्न क्षेत्रों जैसे बिजली, निर्माण और अन्य उद्योगों में उपयोग होता है।
कंपनी प्रोफाइल (Profile)
नाम | Hindustan Copper limited (HCL) |
इंडस्ट्री | खनन |
शुरुवात की तारीख | 1967 |
मुख्य लोग | संजीव कुमार सिंह (Chairman & MD) |
मुख्यालय | कोलकाता |
स्टॉक एक्सचेंज | BSE :513599, NSE :HINDCOPPER |
मार्किट कैप (Market Cap) | ₹24,398 करोड़ |
राजस्व (Revenue) | ₹1,772 करोड़ (वित्त वर्ष2024) |
कुल संपत्ति (Total Asset) | ₹3,504.17 करोड़ (वित्त वर्ष2025) |
नेटवर्थ (Net Worth) | ₹2,285 करोड़ (वित्त वर्ष2024) |
मालक | भारत सरकार |
वेबसाइट | www.hindustancopper.com |
कंपनी के बारे में (About Hindustan Copper )
Hindustan Copper Limited भारत सरकार के खान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। यह देश की एकमात्र सरकारी संस्था है जो तांबे से जुड़ा पूरा काम खुद करती है जैसे ज़मीन से तांबा निकालना, उसे साफ़ करना, पिघलाना, शुद्ध करना और फिर उससे तार बनाने के लिए रॉड तैयार करना।
इसकी शुरुआत 1967 में हुई थी और आज यह देश के कई राज्यों जैसे राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में अपनी खदानों और संयंत्रों के ज़रिए काम कर रही है। यहां से तांबे के अलावा सल्फ्यूरिक एसिड, सोना, चांदी जैसे और भी उपयोगी पदार्थ तैयार किए जाते हैं। कंपनी का मकसद केवल खनन नहीं, बल्कि आसपास के लोगों को रोज़गार देना, नई तकनीक अपनाना और पर्यावरण का ध्यान रखना भी है।
इतिहास (Hindustan Copper History)
- 09 नवंबर 1967 को Hindustan copper limited को खेतड़ी और राखा की खदानें और संयंत्र अपने नियंत्रण में लेने के लिए कानूनी रूप से संस्थापित किया गया था।
- 1972 में घाटशिला की इंडियन कॉपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड को राष्ट्रीयकृत कर हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड में मिला दिया गया।
- कंपनी ने मध्य प्रदेश में मलंजखंड में देश की सबसे बड़ी कठोर चट्टान वाली खुली खदान बनाई, जिसे 12 नवंबर 1982 को देश के लिए समर्पित किया गया।
- 1996 में Hindustan copper limited ने बढ़ते खर्च को देखते हुए अपनी सबसे बड़ी खदान मोसाबनी को बंद करने का फैसला किया। यह निर्णय कंपनी की दिसंबर महीने में हुई बोर्ड की बैठक में लिया गया था।
- 1997-98 के लिए खनन मंत्रालय और कंपनी के बीच साथ मिलकर काम करने की बात पर रजामंदी हो गई है। जिस पर संबंधित पक्षों ने सहमति जताकर हस्ताक्षर किए।
- 2002 में मजदूरों की एकता की आवाज़ उठाते हुए मुसाबोनी माइंस एंड लेबर यूनियन ने सुरदा खदान को बंद करने के फैसले का विरोध करते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया।
- 2003 में क्रिसिल ने Hindustan copper के 15 करोड़ रुपये के बॉन्ड प्रोग्राम की सबसे ऊंची रेटिंग पर दोबारा विचार करने का फैसला किया और इसे निगरानी में रखा ताकि भविष्य के बदलावों के अनुसार निर्णय लिया जा सके।
- 2004 में सरकार के साथ मिलकर एक समझौता किया गया, जिसमें अगले साल के लिए काम के मकसद और नियम बनाए गए। दोनों तरफ से इस पर दस्तखत भी हुए।
- 2006 में कंपनी ने तांबे के उत्पादन और खदान की ताकत बढ़ाने का प्लान बनाया। इसके लिए कंपनी ने करीब 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये का निवेश धीरे-धीरे करने का फैसला किया।
- 2007 में हिंदुस्तान कॉपर ने तांबा, सोना और दूसरे खनिजों की खोज के लिए नए हरे इलाकों में खुदाई शुरू करने का फैसला किया।
- 2008 में सरकार ने हिंदुस्तान कॉपर को मिनी रत्न का टैग दिया। इसके चलते कंपनी 500 करोड़ रुपये तक के खर्च पर बिना किसी रुकावट के अपने फैसले खुद कर सकेगी।
- 2010 में कंपनी ने कहा कि वह अपने दूसरे शेयर बेचने का ऑफर करीब 4,000 रुपये का लेकर आ रही है।
- 2011 में हिंदुस्तान कॉपर ने अपने आखिरी फायदे के पैसे के तौर पर खनन मंत्रालय को 07 करोड़ रुपये दिए।
- 30 अगस्त 2016 को कंपनी ने छत्तीसगढ़ सरकार की मदद से छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम लिमिटेड के साथ मिलकर तांबा और उससे जुड़े खनिज निकालने और उनका इस्तेमाल करने के लिए हाथ मिलाया।
- 2019 में कंपनी ने राखा में एक नया संयंत्र लगाया है, जहां खनिज को साफ किया जाता है।
प्रोडक्ट/सर्विस (Product/Service)
- तांबे के भंडार की पहचान और सर्वेक्षण
- ज़मीन से तांबा निकालने का काम (खनन)
- खनिजों की सफाई और शुद्धिकरण
- तांबे को पिघलाकर उपयोगी रूप में ढालना
- तांबे से जुड़े सामान बनाना, जैसे कैथोड और वायर रॉड
- सल्फ्यूरिक एसिड, सोना, चांदी, निकल जैसे अन्य पदार्थ भी तैयार करना
- खनन कार्यों में तकनीकी सहायता और सलाह देना
- पर्यावरण का ध्यान रखते हुए खदानों का संचालन
- खनन से जुड़ी मशीनों और संयंत्रों की देखभाल
- कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को खनन से जुड़ी ट्रेनिंग देना
Hindustan Copper Mines and Plants (खदानें और प्लांट)
खेतड़ी कॉपर कॉम्प्लेक्स (Khetri Copper Complex)
खेतड़ी कॉपर कॉम्प्लेक्स, राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित है और दिल्ली से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर है। यह Hindustan Copper की एक प्रमुख इकाई है, जहाँ तांबे की खदानें और खनिज को शुद्ध करने वाला संयंत्र मौजूद है। 2008 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तांबे की कीमतें गिरने और पुराने उपकरणों की वजह से यहाँ का स्मेल्टर और एसिड प्लांट बंद कर दिया गया था, लेकिन खदानें और कंसंट्रेटर अब भी चालू हैं। खेतड़ी और कोलिहान दो मुख्य खदानें हैं, जिनसे हर साल करीब 9,500 मीट्रिक टन तांबा निकाला जाता है। यहाँ से सल्फ्यूरिक एसिड जैसे कुछ दूसरे रसायन भी निकलते हैं।
इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (Indian Copper Complex)
झारखंड में स्थित यह कॉपर कॉम्प्लेक्स सालाना करीब 16,500 टन तांबे का कैथोड उत्पादन करता है। इसके साथ-साथ यहाँ सल्फ्यूरिक एसिड के अलावा सोना, चांदी, पैलेडियम, सेलेनियम, टेल्यूरियम और निकल सल्फेट जैसे कई महत्वपूर्ण उप-उत्पाद भी मिलते हैं। मुख्य खदान सुरदा में लगभग 19.30 मिलियन टन तांबे का भंडार है, जिसमें तांबे की मात्रा 1.17 प्रतिशत है।
मलंजखंड कॉपर प्रोजेक्ट (Malanjkhand Copper Project)
मलंजखंड, मध्य प्रदेश में बसा एक तांबे की खदान वाला इलाका है, जो जबलपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर है। यहाँ की खुली खदान हर साल लगभग 20 लाख टन खनिज निकालने की ताकत रखती है। इस जगह पर तांबे का अच्छा भंडार है, जो करीब 208 मिलियन टन का है। अब खदान की गहराई ज़्यादा हो जाने की वजह से इसे ज़मीन के नीचे ले जाकर चलाने की तैयारी हो रही है, जिसमें करीब 2000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, और आने वाले समय में यहाँ से 50 लाख टन तक खनिज निकाला जा सकेगा।
शेयर होल्डिंग (Shareholding Pattern)
मार्च 2025 तक, Hindustan Copper के प्रमोटरों का हिस्सा 66.14% बना रहा, जबकि खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 22.01% हो गई। घरेलू संस्थाओं का हिस्सा 5.69% और विदेशी निवेशकों का हिस्सा घटकर 3.27% पर आ गया। म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी भी 2.89% तक सीमित रही। इस बदलाव के बावजूद, कंपनी के मालिकाना ढांचे में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ, हालांकि संस्थाओं में सतर्कता जरूर देखने को मिली।
All values in % | Mar-25 | Dec-24 | Sep-24 |
Promoter | 66.14 | 66.14 | 66.14 |
Retail and other | 22.01 | 21.38 | 21.32 |
Other domestic institutions | 5.69 | 6.26 | 6.43 |
Foreign institution | 3.27 | 3.41 | 3.30 |
Mutual funds | 2.89 | 2.80 | 2.81 |
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड कहाँ स्थित है?
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) का मुख्य कार्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है।
हिंदुस्तान कॉपर क्या काम करता है?
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) ताम्बे के खनन, शोधन और उत्पादन में सक्रिय है। यह देश की प्रमुख कंपनी है जो ताम्बे को खनन से लेकर शुद्ध रूप में तैयार करने तक की सभी प्रक्रियाओं का संचालन करती है। इसका ताम्बा विभिन्न उद्योगों जैसे इलेक्ट्रिकल, निर्माण और वाहन निर्माण में इस्तेमाल होता है।
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड का मालिक कौन है?
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) एक सरकारी कंपनी है, जिसका पूरा स्वामित्व भारत सरकार के पास है। भारत सरकार ही इसके सभी फैसले लेती है और इसे संचालित करती है।