आज के दौर में शेयर बाजार में निवेश करना काफी लोकप्रिय हो गया है। इस प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बनाने के लिए डीमैट अकाउंट का बहुत बड़ा योगदान है। डीमैट अकाउंट एक डिजिटल वॉलेट की तरह होता है जिसमें निवेशक अपने सभी शेयर और अन्य वित्तीय उपकरण इलेक्ट्रॉनिक रूप में रख सकते हैं। इससे शेयरों को खरीदना, बेचना और ट्रैक करना बेहद आसान हो जाता है।
भारत में डीमैट अकाउंट खोलना अब बेहद सुविधाजनक हो गया है। मुख्य संस्थाएं जैसे एनएसडीएल और सीडीएसएल इस सेवा को नियंत्रित करती हैं और कई ब्रोकर इस प्रक्रिया को मध्यस्थता प्रदान करते हैं। इस डिजिटल सिस्टम के कारण निवेशकों को अपने भौतिक कागजात संभालने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे धोखाधड़ी और नुकसान के जोखिम घट जाते हैं। पहले जहाँ यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली थी, वहीं आज ऑनलाइन आवेदन और वेरिफिकेशन से आप कुछ ही मिनटों में डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। यह बदलाव भारतीय स्टॉक मार्केट को ज्यादा पारदर्शी, तेज और सुरक्षित बनाता है, जिससे आम निवेशक भी आसानी से बाजार में भाग ले पाते हैं।
डीमैट अकाउंट का मतलब एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से है जहाँ निवेशक अपनी शेयर और अन्य वित्तीय साधनों को सुरक्षित रूप से इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रख सकते हैं। यह प्रणाली पारंपरिक कागजी प्रमाणपत्रों की जरूरत को खत्म कर देती है और निवेश प्रक्रिया को सरल व त्वरित बना देती है।
शेयर बाजार में भाग लेने के लिए डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है क्योंकि यह निवेशकों को उनके शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड्स और सरकारी सिक्योरिटीज़ को सुरक्षित रखने का भरोसा देता है। इसके जरिए निवेशक अपने निवेशों की स्थिति को कहीं से भी ऑनलाइन मॉनिटर कर सकते हैं, जिससे चोरी या नुकसान का खतरा खत्म हो जाता है। साथ ही, यह निवेशकों को तेज और सुविधाजनक तरीके से ट्रेडिंग का लाभ उठाने में मदद करता है।
जब कोई व्यक्ति शेयर बाजार में निवेश करने की योजना बनाता है, तो सबसे पहला कदम होता है एक उपयुक्त डीमैट अकाउंट चुनना। हर निवेशक की जरूरतें अलग होती हैं – कोई केवल भारत में ट्रेड करना चाहता है, तो कोई विदेश में रहते हुए भी भारतीय बाजार में भागीदारी करना चाहता है। ऐसे में, सभी के लिए एक ही तरह का खाता उपयुक्त नहीं होता। इसी कारण से डीमैट खातों को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया गया है। हर प्रकार का खाता एक खास निवेश प्रोफाइल और जरूरत को पूरा करता है, जिससे निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों को सुरक्षित और सुविधाजनक ढंग से प्राप्त कर सकते हैं।
रेगुलर डीमैट अकाउंट (Regular Demat Account)
यह साधारण भारतीय नागरिकों के लिए सबसे सामान्य डीमैट खाता है। अगर आप भारत में रहते हुए शेयर, बॉन्ड या म्यूचुअल फंड जैसे साधारण निवेश करना चाहते हैं, तो यह आपका खाता है। इसका उपयोग बहुत सीधी और सहज प्रक्रिया के लिए होता है – निवेश करना, होल्डिंग्स का प्रबंधन करना और ट्रेडिंग करना।
रिपैट्रिएबल डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat Account)
इस खाते की रचना विशेष रूप से उन एनआरआई (NRI) के लिए की गई है, जो भारत में निवेश करने के साथ-साथ अपनी कमाई को विदेश में वापस भेजना चाहते हैं। इस खाते को NRE खाते से जोड़कर आप अपनी निवेशित पूंजी को आसानी से बहार भेज सकते हैं। यह आर्थिक तंतु-आधारित लचीलापन प्रदान करता है।
नॉन-रिपैट्रिएबल डीमैट अकाउंट (Non‑Repatriable Demat Account)
यह खाता उन NRI निवेशकों के लिए है जो भारत में निवेश तो करना चाहते हैं, लेकिन निवेश की कमाई को विदेशी स्थानांतरण की योजना नहीं बनाते। आम तौर पर यह NRO बैंक खाते से जुड़ता है और सीमित निवेश के लिए उपयुक्त है।
निवेश की आधुनिक दुनिया में, जहां स्पीड और सिक्योरिटी दोनों की मांग होती है, वहीं डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए एक अनिवार्य टूल बन चुका है। यह खाता आपको शेयर, बॉन्ड्स और अन्य वित्तीय साधनों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहीत करने की सुविधा देता है, जिससे पारंपरिक भौतिक प्रमाणपत्रों की झंझट से पूरी तरह मुक्ति मिलती है।
डीमैट अकाउंट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह आपके निवेश को एक सुरक्षित डिजिटल फॉर्मेट में संरक्षित करता है। न तो प्रमाणपत्र खोने का डर रहता है, न ही जालसाजी या फोर्जरी का खतरा। जब कोई शेयर खरीद या बेचते हैं, तो वह सीधे आपके डीमैट खाते में रिफ्लेक्ट होता है – बिना किसी मैन्युअल हस्तक्षेप के।
अब आपको अपने निवेश के दस्तावेज़ों को फाइलों में संभालकर रखने की ज़रूरत नहीं। डीमैट अकाउंट में सभी शेयर और सिक्योरिटीज एक ही जगह इलेक्ट्रॉनिक रूप में सेव रहती हैं। यह निवेशकों को न केवल कागज़ी कार्य से राहत देता है, बल्कि डेटा लॉस या डैमेज का खतरा भी खत्म करता है।
भारतीय शेयर बाज़ार अब T+2 सेटलमेंट साइकल को फॉलो करता है, यानी ट्रेड के दो कार्यदिवस बाद शेयर या पैसा निवेशक के खाते में क्रेडिट हो जाता है। यह प्रक्रिया पहले की तुलना में न केवल तेज़ है, बल्कि अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद भी है।
डीमैट अकाउंट के साथ शेयर ट्रांसफर में स्टाम्प ड्यूटी जैसी लागतें नहीं लगतीं, जिससे आपकी ट्रेडिंग और निवेश प्रक्रिया अधिक किफायती बन जाती है। साथ ही, फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स से जुड़ी कुरियरिंग, स्टोरेज और अन्य खर्च भी बचते हैं।
ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ने के बाद, डीमैट अकाउंट के ज़रिए आप अपने स्मार्टफोन या लैपटॉप से ही कहीं से भी और कभी भी ट्रेड कर सकते हैं। अब निवेश के लिए ब्रोकरेज हाउस के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं।
डीमैट अकाउंट आपको रियल-टाइम में अपने निवेश पोर्टफोलियो की पूरी जानकारी देता है। आप लॉगिन करके अपने होल्डिंग्स, लेन-देन का इतिहास, और किसी भी कॉर्पोरेट एक्शन की जानकारी तुरंत प्राप्त कर सकते हैं – यह सब कुछ आपकी उंगलियों पर।
आज के डिजिटल युग में जब हर चीज़ ऑनलाइन हो रही है, निवेश की दुनिया भी पीछे नहीं है। डीमैट अकाउंट इसी बदलाव का एक अहम हिस्सा है। यह खाता निवेशकों को उनकी सारी प्रतिभूतियों को डिजिटल रूप में रखने और बिना किसी झंझट के प्रबंधन करने की सुविधा देता है।
जब कोई निवेशक शेयर या म्यूचुअल फंड खरीदता है, तो पहले इन्हें कागज़ी प्रमाणपत्र के रूप में रखा जाता था। पर अब डीमैट अकाउंट की मदद से ये सब कुछ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में सीधे आपके खाते में स्टोर हो जाता है। इससे दस्तावेज़ खोने, फटने या फर्जीवाड़े जैसी समस्याएं पूरी तरह समाप्त हो जाती हैं।
मान लीजिए आपने एक स्टॉक खरीदने का आदेश दिया, तो जैसे ही आपका ऑर्डर शेयर बाजार में मंजूर होता है, वो शेयर कुछ ही समय में आपके डीमैट अकाउंट में जुड़ जाता है। आप अपने पोर्टफोलियो में रियल टाइम देख सकते हैं कि आपने क्या खरीदा और कितना।
जब आप किसी शेयर को बेचना चाहते हैं, तो आपके डीमैट खाते से वह अपने आप डेबिट हो जाता है और खरीदार के खाते में ट्रांसफर हो जाता है। इस प्रक्रिया में किसी तरह की मैनुअल एंट्री या फिजिकल पेपर की जरूरत नहीं होती।
डीमैट अकाउंट एक तरह का डिजिटल लॉकर है, जहाँ आप अपने निवेशों की पूरी जानकारी रीयल-टाइम में देख सकते हैं। बस एक क्लिक में आप जान सकते हैं कि आपके पास कितने शेयर हैं, उनका वर्तमान मूल्य क्या है और पिछले कुछ लेन-देन क्या हुए हैं।
डीमैट अकाउंट न केवल सुविधा देता है, बल्कि निवेश में पारदर्शिता भी लाता है। आप जब चाहें, अपने पूरे निवेश की रिपोर्ट निकाल सकते हैं और किसी भी लेन-देन का पूरा विवरण पा सकते हैं – वो भी बिना किसी ब्रोकर या एजेंट की मदद लिए।
डीमैट अकाउंट के संचालन में तीन मुख्य पक्ष शामिल होते हैं:
डीमैट खाता आपके निवेश को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संभालता है, जिससे न तो सर्टिफिकेट गुम होते हैं और न ही उन्हें संभालने का झंझट रहता है। सब कुछ एक क्लिक में सुरक्षित।
अब शेयर या बॉन्ड खरीदने के लिए फॉर्म भरने की ज़रूरत नहीं। ना स्टांप पेपर, ना पोस्ट ऑफिस की लाइनें। डीमैट से पूरा निवेश अनुभव डिजिटल हो जाता है।
एक डीमैट अकाउंट से आप कभी भी और कहीं भी निवेश कर सकते हैं। न तो किसी दलाल के पास जाने की ज़रूरत है, न ही किसी प्रक्रिया में देरी होती है।
आपको बोनस शेयर या डिविडेंड पाने के लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं होती। जो भी लाभ मिलते हैं, वे अपने आप आपके डीमैट खाते में जुड़ जाते हैं।
भौतिक प्रमाणपत्रों को स्टोर करना, भेजना या बदलवाना महंगा और समय लेने वाला होता था। डीमैट अकाउंट से ये सारे खर्च खत्म हो जाते हैं।
चाहे आपने शेयर खरीदे हों, म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाया हो या सरकारी बॉन्ड्स – सब कुछ एक ही डीमैट अकाउंट में देखा और संभाला जा सकता है।
अगर निवेशक कुछ कारणों से खुद प्रबंधन नहीं कर पा रहा हो, तो डीमैट अकाउंट से नाम बदलना या उत्तराधिकारी को निवेश ट्रांसफर करना बेहद आसान होता है।
अगर आप शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं, तो आपके पास डीमैट अकाउंट (Demat Account) होना जरूरी है। यह एक ऐसा डिजिटल अकाउंट होता है जिसमें आपके शेयर या सिक्योरिटीज इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाते हैं – ठीक वैसे ही जैसे बैंक में पैसे रखे जाते हैं।
डीमैट अकाउंट खोलने के स्टेप्स (Step-by-step Guide):
आपको किसी ऐसे ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म या डिपॉजिटरी पार्टनर (DP) से डीमैट अकाउंट खोलना होगा जो SEBI से रजिस्टर्ड हो। कुछ नाम जैसे Zerodha, Groww, Upstox, आदि, लेकिन आप किसी भी प्लेटफॉर्म को अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं।
चुने गए प्लेटफॉर्म पर जाएं और “Open Demat Account” या “अकाउंट खोलें” पर क्लिक करें। यहां आपसे कुछ जानकारियाँ मांगी जाएंगी:
अब आपको अपने डॉक्युमेंट्स अपलोड करने होंगे – जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स, फोटो, और सिग्नेचर।
ऑनलाइन प्रक्रिया में आमतौर पर आपसे आधार कार्ड के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक साइन (E-sign) लिया जाता है। इसके लिए आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना जरूरी है।
कुछ मामलों में प्लेटफॉर्म आपसे एक छोटा वीडियो या लाइव वेरिफिकेशन की मांग कर सकते हैं, जिससे यह पुष्टि हो सके कि आप ही असली आवेदक हैं।
सारी जानकारी वेरीफाई करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट 1 से 2 कार्यदिवसों में सक्रिय हो जाता है। इसके बाद आपको लॉगिन डिटेल्स, क्लाइंट आईडी और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की जानकारी ईमेल या SMS द्वारा मिल जाती है।
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए पैन कार्ड होना अनिवार्य है। बिना पैन कार्ड के आपका खाता नहीं खुल सकता। इस पर आपका नाम, जन्मतिथि और पैन नंबर साफ दिखाई देना चाहिए।
आजकल ज्यादातर डीमैट अकाउंट आधार की मदद से ही खोले जाते हैं। अगर आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक है, तो यह प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है। इससे आपकी पहचान और पता दोनों की पुष्टि हो जाती है।
डीमैट अकाउंट को आपके बैंक खाते से जोड़ा जाता है ताकि निवेश के पैसे भेजे या निकाले जा सकें। इसके लिए आपको इनमें से कोई एक दस्तावेज़ देना होता है:
एक हाल ही में ली गई फोटो की ज़रूरत होती है। अगर आप ऑनलाइन खाता खोल रहे हैं, तो मोबाइल से खींची गई साफ तस्वीर भी चल सकती है।
सफेद कागज़ पर अपने साइन करें और उसकी फोटो या स्कैन कॉपी दें। यह जरूरी होता है ताकि आपके दस्तावेज़ की कानूनी मान्यता बन सके।
आपका मोबाइल नंबर आधार से जुड़ा होना चाहिए, ताकि OTP के ज़रिए डिजिटल साइन हो सके। साथ ही, ईमेल पर आपको लॉगिन डिटेल्स और बाकी जरूरी जानकारी मिलेगी।
डिमटेरियलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशकों के पास मौजूद पुराने काग़ज़ी शेयर प्रमाणपत्रों को डिजिटल रूप में बदला जाता है। इसका उद्देश्य पारंपरिक और जटिल दस्तावेज़ी प्रणाली को हटाकर निवेश को सरल, तेज़ और सुरक्षित बनाना है। इस प्रक्रिया के तहत निवेशक को अपने शेयर डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के माध्यम से डीमैट खाते में ट्रांसफर करवाने होते हैं।
एक बार शेयर डिजिटल रूप में आ जाने के बाद, उन्हें इंटरनेट के ज़रिए कहीं से भी देखा, ट्रैक और ट्रांसफर किया जा सकता है। इससे निवेशकों को न केवल कागज़ी कार्यवाही से मुक्ति मिलती है, बल्कि गुम हो जाने, फटने या जालसाजी जैसी परेशानियों से भी बचाव होता है।
डिमटेरियलाइजेशन शेयर बाजार में लेन-देन को पहले से कहीं अधिक तेज़, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाता है। इस प्रक्रिया के लिए निवेशक को डीमैट अकाउंट खोलना, डिमटेरियलाइजेशन रिक्वेस्ट फॉर्म (DRF) भरना और अपने भौतिक प्रमाणपत्र जमा करने होते हैं। जमा करते समय हर सर्टिफिकेट पर “डिमटेरियलाइजेशन के लिए सौंपा गया” लिखा होना चाहिए, ताकि उसका दुरुपयोग न हो सके।
शेयर एक बार डीमैट अकाउंट में डिजिटल रूप से जुड़ जाएं, तो उनका प्रबंधन आसान हो जाता है – बोनस, डिविडेंड, राइट्स इश्यू वगैरह भी ऑटोमैटिक खाते में दिखने लगते हैं। इस तरह, डिमटेरियलाइजेशन ने निवेश की दुनिया को कहीं ज्यादा सहज और स्मार्ट बना दिया है।
विशेषता (Particulars) | डीमैट अकाउंट (Demat Account) | ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) |
परिभाषा | यह एक अकाउंट होता है जहाँ आपके खरीदे गए शेयर, म्यूचुअल फंड आदि इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाते हैं। | यह वह अकाउंट होता है जिससे आप शेयर बाजार में खरीद और बिक्री करते हैं। |
उद्देश्य | शेयरों को स्टोर करना – जैसे लॉकर में गहने रखे जाते हैं। | शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को अंजाम देना। |
मुख्य कार्य | खरीदे गए शेयरों को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखना। | स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदना या बेचना। |
बाजार से जुड़ाव | सीधे बाजार से नहीं जुड़ा होता – यह सिर्फ संग्रहण के लिए है। | यह शेयर बाजार (NSE/BSE) से सीधे जुड़ा होता है। |
खाता खोलने की ज़रूरत | निवेश के लिए ज़रूरी है (अगर आप शेयर अपने पास रखना चाहते हैं)। | शेयर खरीदने-बेचने के लिए अनिवार्य है। |
रखरखाव शुल्क (AMC) | आमतौर पर सालाना शुल्क लगता है (₹300–₹800 तक)। | कई बार कोई वार्षिक शुल्क नहीं लगता, लेकिन ब्रोकरेज शुल्क जरूर होता है। |
डेटा संग्रहण | स्टॉक, म्यूचुअल फंड, ETF आदि की होल्डिंग यहाँ दिखती है। | लेन-देन का रिकॉर्ड, ऑर्डर हिस्ट्री आदि इसमें दर्ज होती है। |
बिना किसके नहीं चलेगा | ट्रेडिंग अकाउंट के बिना सिर्फ डीमैट से कुछ नहीं खरीद सकते। | डीमैट के बिना खरीदा गया शेयर संग्रह नहीं हो पाएगा। |
खाता कहाँ खुलता है | डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के ज़रिए (जैसे NSDL, CDSL)। | ब्रोकिंग फर्म्स के ज़रिए जो स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ी होती हैं। |
प्रैक्टिकल उदाहरण | आपने शेयर खरीदा, वह डीमैट अकाउंट में चला गया। | शेयर खरीदने का ऑर्डर आपने ट्रेडिंग अकाउंट से दिया। |
आज के डिजिटल दौर में अगर आप शेयर बाजार में कदम रखना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट की जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। हमने इस लेख में जाना कि डीमैट अकाउंट क्या होता है, यह कैसे काम करता है, इसके प्रकार कौन-कौन से हैं, इससे जुड़े फायदे क्या हैं, और इसे खोलने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है। यह खाता न सिर्फ आपके निवेश को सुरक्षित रखता है, बल्कि ट्रेडिंग को आसान और कागज़ रहित भी बनाता है। सही जानकारी और दिशा के साथ डीमैट अकाउंट खुलवाना आपकी वित्तीय यात्रा का एक अहम और बुद्धिमत्तापूर्ण कदम हो सकता है।
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डीमैट खाता एक ऐसा डिजिटल लॉकर होता है, जहाँ आपके शेयर, बॉन्ड्स और म्यूचुअल फंड जैसी चीज़ें कागज़ी रूप से नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखी जाती हैं। ठीक वैसे ही जैसे पैसे बैंक में रखे जाते हैं, वैसे ही निवेश डीमैट खाते में रखे जाते हैं।
अगर आप शेयर बाजार में सीधे निवेश करना चाहते हैं, तो हाँ, डीमैट खाता अनिवार्य है। इसके बिना आपके खरीदे हुए शेयर को रखने का कोई डिजिटल माध्यम नहीं होगा।
हाँ, बिल्कुल। ट्रेडिंग खाता इस्तेमाल होता है खरीदने और बेचने के लिए, जबकि डीमैट खाता इस्तेमाल होता है चीजों को रखने के लिए। खरीदारी ट्रेडिंग खाते से होती है और खरीदा गया माल डीमैट खाते में स्टोर होता है।
कई ब्रोकिंग कंपनियाँ डीमैट खाता खोलने पर कोई शुल्क नहीं लेतीं, खासकर जब आप ऑनलाइन अप्लाई करते हैं। लेकिन कुछ कंपनियाँ मामूली खाता खोलने की फीस या सालाना चार्ज (AMC) ले सकती हैं।
आपको ज़रूरत होगी – पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक का खाता विवरण (जैसे चेक या पासबुक), आपकी फोटो और आपके हस्ताक्षर (Signature)। ये सभी चीज़ें केवाईसी के लिए जरूरी होती हैं।
हाँ, आप चाहे तो दो या उससे अधिक डीमैट खाते रख सकते हैं, बशर्ते वो अलग-अलग कंपनियों के साथ हों। लेकिन ध्यान रखें, ज़्यादा खाते रखना मैनेजमेंट के लिहाज़ से थोड़ा जटिल हो सकता है।
नहीं, इसमें शेयर के अलावा और भी कई चीज़ें रखी जा सकती हैं जैसे बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड्स, ETF, और सरकारी सिक्योरिटीज। यह एक डिजिटल वॉल्ट की तरह काम करता है।
जी हाँ, आज के डिजिटल दौर में मोबाइल से डीमैट खाता खोलना बहुत ही आसान हो गया है। कुछ ऐप्स तो 10-15 मिनट में पूरा प्रोसेस पूरा कर देते हैं।
नहीं, डीमैट खाते में पैसे नहीं, बल्कि शेयर और अन्य निवेश रहते हैं। पैसे का लेन-देन आपके बैंक खाते से होता है।
बिल्कुल। अगर आप डीमैट खाता बंद करना चाहते हैं, तो उसके लिए एक फॉर्म भरना होता है। आपकी होल्डिंग्स या तो बेची जाती हैं या किसी और खाते में ट्रांसफर की जाती हैं।
आपके खाते में रखे गए शेयर एक सूची के रूप में दिखते हैं – जैसे कितने शेयर हैं, किस कंपनी के हैं, उनकी वर्तमान कीमत क्या है वगैरह। ये सारी जानकारी आपके लॉगिन पैनल पर दिखती है।
सीधे तौर पर नहीं। क्योंकि ये खाता पूरी तरह डिजिटल है, इसलिए आपको इसे एक्सेस करने के लिए इंटरनेट चाहिए होता है। हां, कुछ कंपनियाँ SMS अलर्ट जरूर देती हैं।
हाँ, नाबालिगों के नाम पर भी डीमैट खाता खोला जा सकता है, लेकिन उसके लिए माता-पिता या अभिभावक को गार्जियन के तौर पर जोड़ा जाता है।
कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 साल या उससे ज्यादा है और जिसके पास वैध पैन कार्ड है, वह डीमैट खाता खोल सकता है। नॉन-रेजिडेंट भारतीय (NRI) भी अलग नियमों के तहत खाता खोल सकते हैं।
सबसे पहले डीमैट खाते को अपने बैंक खाते और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जोड़ें। फिर आप स्टॉक मार्केट ऐप या वेबसाइट के ज़रिए कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं। जो भी आप खरीदेंगे, वो अपने आप आपके डीमैट खाते में जुड़ जाएगा।
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