अकाउंटेंट कैसे बनें: कोर्सेस, प्रकार, सैलरी और अकाउंटिंग क्षेत्र का भविष्य| Accountant in hindi
अकाउंटिंग का क्षेत्र आज के समय में उन करियर विकल्पों में से एक है, जहाँ सही जानकारी के साथ आगे बढ़ा जाए तो मजबूत भविष्य बन सकता है। बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि अकाउंटेंट कैसे बनें, और इसी वजह से यह समझना भी जरूरी है कि अकाउंटिंग क्षेत्र में भविष्य कैसा दिखाई देता है। इस फील्ड में अलग-अलग प्रकार के काम होते हैं, जिन्हें समझने के लिए अकाउंटेंट के प्रकार जानना फायदेमंद रहता है।
इसके साथ ही कई Accounting & Finance Professional Courses हैं, जिनकी मदद से कोई भी छात्र इस क्षेत्र में अपनी कौशल बढ़ा सकता है। और हाँ, करियर चुनते समय सैलरी भी एक बड़ा सवाल होता है, इसलिए हम कमाई को लेकर भी साफ जानकारी करेंगे। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे – अकाउंटेंट कैसे बनें, कौन-सा कोर्स आपके लिए सही हो सकता है, किस तरह की नौकरी मिलती है और इस क्षेत्र में सैलरी का क्या दायरा होता है।
अकाउंटेंट कैसे बनें? (How to Become an Accountant)
1: ज़रूरी कौशल पहचानें (Identify Key Skills)
एक अच्छे अकाउंटेंट के लिए केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि सही कौशल भी जरूरी होते हैं। आपको ध्यानपूर्वक काम करने की आदत, डेटा की समझ और दूसरों के साथ संवाद करने की क्षमता होनी चाहिए। नीचे कुछ अहम सॉफ्ट और तकनीकी स्किल्स दी गई हैं जो इस प्रोफेशन में बहुत काम आती हैं।
सॉफ्ट स्किल्स
- स्पष्ट और प्रभावी संचार (Communication)
- समस्या हल करने की क्षमता (Problem-Solving)
- सोच-समझकर निर्णय लेना (Decision Making)
- समय प्रबंधन (Time Management)
- टीम के साथ काम करने की क्षमता (Teamwork)
- जिम्मेदारी और ईमानदारी
तकनीकी स्किल्स
- अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर जैसे Tally, QuickBooks, SAP आदि का ज्ञान
- Excel और MS Office का प्रयोग
- डेटा विश्लेषण और रिपोर्टिंग की समझ
- प्रोजेक्ट और रिकॉर्ड मैनेजमेंट
- टैक्स फाइलिंग और बजट प्लानिंग का बेसिक नॉलेज
2: सही कोर्स या ट्रेनिंग चुनें (Enroll in a Course or Training)
अकाउंटिंग में करियर शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको औपचारिक शिक्षा की ज़रूरत होती है। आप किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 पूरा करें (किसी भी स्ट्रीम से, लेकिन कॉमर्स बेहतर रहेगा)। इसके बाद आप कॉमर्स, अकाउंटिंग या फाइनेंस से जुड़ा स्नातक कोर्स कर सकते हैं। कॉलेज एडमिशन के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटीज़ अपने प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) लेती हैं।
प्रमुख प्रवेश परीक्षाएँ
- NPAT (Narsee Monjee)
- SET (Symbiosis Entrance Test)
- GGSIPU CET
3: स्नातक डिग्री पूरी करें (Complete Bachelor’s Degree)
कॉलेज स्तर पर आप नीचे दिए गए कोर्स में से किसी एक को चुन सकते हैं
- बी.कॉम (Bachelor of Commerce)
- बी.कॉम (ऑनर्स)
- बीबीए (BBA in Finance or Accounting)
- बीएमएस (Bachelor of Management Studies)
4: उच्च शिक्षा या अनुभव प्राप्त करें (Go for Higher Studies or Work Experience)
डिग्री के बाद आप चाहें तो किसी कंपनी में जूनियर अकाउंटिंग प्रोफाइल से शुरुआत कर सकते हैं, या फिर आगे पढ़ाई जारी रख सकते हैं ताकि बेहतर पदों पर पहुँचें।
लोकप्रिय मास्टर डिग्री कोर्स
- एम.कॉम (Com – Accounting, Banking or Finance)
- एम.कॉम (ऑनर्स)
- एमबीए (MBA in Finance or Accounting)
5: प्रैक्टिकल अनुभव और सर्टिफिकेशन प्राप्त करें
केवल डिग्री काफी नहीं होती, प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस और प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन (जैसे CA, CMA, CPA) आपके करियर को और मजबूत बनाते हैं। इंटर्नशिप, ऑडिट फर्म्स या अकाउंटिंग कंपनियों में काम करने से आपको असली अनुभव मिलता है।
जूनियर अकाउंटेंट क्या होता है
जूनियर अकाउंटेंट किसी कंपनी की टीम में शुरुआती स्तर पर वित्तीय काम संभालता है। उसका काम रोज़मर्रा के लेन-देन को दर्ज करना, बिल और रसीदें ठीक से चेक करना, और बैंक स्टेटमेंट को कंपनी के रिकॉर्ड से मिलाना होता है। वह टीम के वरिष्ठ सदस्य की मदद करता है ताकि कंपनी का वित्तीय सिस्टम सही और व्यवस्थित बना रहे।
इस पद पर आम तौर पर वे लोग आते हैं जिन्होंने कॉमर्स या वित्तीय पढ़ाई की हो और जिन्हें Excel या Tally जैसे सॉफ्टवेयर का थोड़ा-बहुत अनुभव हो। अनुभव बढ़ने के साथ यह व्यक्ति बड़े वित्तीय पदों पर काम कर सकता है, जैसे सीनियर फाइनेंस रोल या मैनेजमेंट। कुल मिलाकर, यह शुरुआत फाइनेंस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए मजबूत आधार देती है।
अकाउंटिंग क्षेत्र में भविष्य (Career in Accounting)
अकाउंटिंग करियर में कदम रखते समय आपको सबसे पहले यह तय करना होगा कि आप किस तरह की विशेषज्ञता लेना चाहते हैं। अकाउंटिंग मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंटी है: मैनेजमेंट अकाउंटिंग और वित्तीय (फाइनेंशियल) अकाउंटिंग।
मैनेजमेंट अकाउंटिंग
यह उस जानकारी पर ध्यान देती है जो सिर्फ कंपनी के अंदर के लोगों के लिए जरूरी होती है। उदाहरण के लिए:
- बजट और खर्च का हिसाब
- किसी प्रोजेक्ट या विभाग के लाभ-हानि का विश्लेषण
- संगठन के अंदर निर्णय लेने में मदद
वित्तीय अकाउंटिंग
यह उस जानकारी को तैयार करती है जो कंपनी के बाहर के लोग, जैसे निवेशक, शेयरधारक या सरकारी एजेंसियां, देखना चाहते हैं।
- पूरे संगठन का वित्तीय रिकॉर्ड शामिल होता है
- ऑडिट और टैक्स रिपोर्टिंग इसमें आती है
करियर के विकल्प
अकाउंटिंग की दुनिया में अधिकांश लोग फाइनेंशियल अकाउंटिंग से शुरुआत करते हैं। इससे आप कई अलग-अलग रास्ते अपना सकते हैं:
- ऑडिटिंग – कंपनी के रिकॉर्ड की जांच
- व्यवसाय पुनर्प्राप्ति और दिवालियापन – फंड की स्थिति सुधारना
- कॉर्पोरेट फाइनेंस – बड़े वित्तीय फैसलों और निवेश का प्रबंधन
- फॉरेंसिक अकाउंटिंग – वित्तीय धोखाधड़ी की जांच
- टैक्स अकाउंटिंग – कर की योजना और अनुपालन
प्रोफेशनल कोर्सेस (Accounting Professional Courses)
- AAT (Association of Accounting Technicians)
AAT एक शुरुआती स्तर की अकाउंटिंग योग्य्ता है, जो तीन स्तरों (Level 2-4) में उपलब्ध है। इसमें अकाउंटिंग के मूल सिद्धांत और व्यावहारिक कौशल सिखाए जाते हैं। Level 4 पूरी करने में आमतौर पर 12 से 18 महीने लगते हैं और इसके बाद आप सीनियर वित्तीय पदों के लिए योग्य हो जाते हैं।
- AIA (Association of International Accountants)
AIA की पेशेवर योग्य्ता हासिल करने के बाद आप एक पूर्ण रूप से प्रमाणित अकाउंटेंट बन सकते हैं और इस वैश्विक संगठन का सदस्य बन सकते हैं। पहले दो स्तरों को पूरा करने में लगभग 12 महीने और अंतिम स्तर में 12 से 18 महीने लगते हैं। यह योग्य्ता आपको अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मानकों के साथ काम करने में सक्षम बनाती है।
- ACCA (Association of Chartered Certified Accountants)
ACCA दो मुख्य स्तरों में बंटी होती है: Fundamentals और Professionals। यह योग्य्ता कॉर्पोरेट लॉ, बिजनेस कानून, ऑडिट, और वित्तीय विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में गहरी समझ देती है। ACCA पूरी करने में लगभग चार साल लग सकते हैं, और यह आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अकाउंटेंट बनने में मदद करती है।
- ICAEW (Institute of Chartered Accountants in England and Wales)
ICAEW, जिसे ACA के नाम से भी जाना जाता है, एक उच्च स्तरीय चार्टर्ड अकाउंटेंट की योग्य्ता है। इसमें 450 दिन का प्रैक्टिकल अनुभव और 14 परीक्षा मॉड्यूल शामिल होते हैं। इसे पूरा करने में आमतौर पर 3 से 5 साल का समय लगता है और यह अकाउंटिंग और वित्तीय प्रबंधन में गहन प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- ICAS (Institute of Chartered Accountants of Scotland)
ICAS स्कॉटलैंड की प्रमुख चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्था है। यह योग्य्ता स्कूल छोड़ने वालों, ग्रेजुएट्स और अप्रेंटिस को पेशेवर प्रशिक्षण देती है। इसमें 450 दिन का व्यावहारिक अनुभव और वित्तीय, प्रबंधन व विश्लेषण कौशल का विकास शामिल है। आमतौर पर इसे पूरा करने में तीन साल का समय लगता है।
- CIPFA (Chartered Institute of Public Finance and Accountancy)
CIPFA सार्वजनिक वित्त और सरकारी खातों में विशेषज्ञता देती है। PAQ (Professional Accountancy Qualification) पूरी करने के बाद आप CPFA (Chartered Public Finance Accountant) बन सकते हैं। इस योग्य्ता को पूरा करने में लगभग 3.5 साल लगते हैं और यह आपको सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में पेशेवर बनाने में मदद करती है।
- CIMA (Chartered Institute of Management Accountants)
CIMA मैनेजमेंट अकाउंटिंग में प्रमुख योग्य्ता है। CGMA (Chartered Global Management Accountant) बनने के लिए पहले CIMA Certificate in Business Accounting (Cert BA) आवश्यक है। इसे पूरा करने में चार साल का समय लगता है और साथ ही तीन साल का प्रैक्टिकल अनुभव जरूरी होता है। यह योग्य्ता आपको वित्तीय निर्णय लेने और व्यापार रणनीति में विशेषज्ञ बनाती है।
अकाउंटेंट के प्रकार (Types of Accountants)
- आईटी अकाउंटेंट
ये लोग कंप्यूटर और फाइनेंस दोनों की जानकारी रखते हैं। इनका काम होता है कंपनी के डिजिटल रिकॉर्ड संभालना और सॉफ्टवेयर की मदद से रिपोर्ट बनाना। तकनीक के ज़रिए ये काम को आसान और सुरक्षित बनाते हैं।
- मैनेजमेंट अकाउंटेंट
इनका ध्यान कंपनी के पैसों और फैसलों पर रहता है। वे बजट तैयार करते हैं, रिपोर्ट बनाते हैं और यह बताते हैं कि कौन-सा कदम फायदेमंद रहेगा। इनकी सलाह से कंपनी सही दिशा में आगे बढ़ती है।
- कॉस्ट अकाउंटेंट
ये खर्चों को नियंत्रित करने का काम करते हैं। वे देखते हैं कि कहाँ पैसे बचाए जा सकते हैं और कहाँ ज़रूरत से ज़्यादा खर्च हो रहा है। इनकी मदद से कंपनी का मुनाफा बढ़ता है।
- फॉरेंसिक अकाउंटेंट
ये धोखाधड़ी या किसी वित्तीय गलती की जांच करते हैं। अगर कहीं लेनदेन में गड़बड़ी हो तो ये सच्चाई सामने लाते हैं। इनकी वजह से कंपनी में पारदर्शिता बनी रहती है।
- सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (CPA)
ये टैक्स, ऑडिट और सरकारी नियमों के विशेषज्ञ होते हैं। हर बड़ी कंपनी को ऐसे लोगों की जरूरत होती है ताकि उसका आर्थिक काम सही तरीके से चले।
- इन्वेस्टमेंट अकाउंटेंट
ये निवेश से जुड़े मामलों में सलाह देते हैं। वे बताते हैं कि पैसा कहाँ लगाया जाए ताकि अच्छा फायदा मिल सके। इनकी समझ से कंपनी और व्यक्ति दोनों का भविष्य सुरक्षित रहता है।
भारत में अकाउंटेंट की सैलरी (Accountant salary in india)
| पद / अनुभव (Position / Experience) | वार्षिक सैलरी (Annual Salary) / मासिक (Monthly Salary) |
| जूनियर अकाउंटेंट (Junior Accountant) | ₹0.2 लाख – ₹4.4 लाख प्रति वर्ष |
| स्टाफ अकाउंटेंट (Staff Accountant) | लगभग ₹5 लाख प्रति वर्ष |
| अनुभवी अकाउंटेंट (General Experienced) | ₹4 लाख – ₹7 लाख प्रति वर्ष |
| चार्टर्ड अकाउंटेंट (Entry-level CA) | ₹50,000 – ₹1,00,000 प्रति माह |
| चार्टर्ड अकाउंटेंट (Senior CA) | ₹5,00,000 – ₹10,00,000 प्रति माह |
| अनुभवी अकाउंटेंट मैनेजर (Experienced Manager) | लगभग ₹20 लाख प्रति वर्ष |
अकाउंटेंट बनने के लिए काम का अनुभव क्यों है ज़रूरी?
एक सफल अकाउंटेंट बनने के लिए केवल डिग्री हासिल करना काफी नहीं होता। असली सीख तब मिलती है जब आप किसी संस्था या फर्म में काम करके वास्तविक परिस्थितियों को समझते हैं। चाहे यह अनुभव इंटर्नशिप, पार्ट-टाइम नौकरी या स्वयंसेवा के रूप में हो, यह आपके भीतर व्यावहारिक समझ विकसित करता है। किसी अनुभवी अकाउंटेंट के साथ कुछ समय बिताना या उनका काम नजदीक से देखना भी बहुत उपयोगी साबित होता है। इससे यह पता चलता है कि वित्तीय रिपोर्ट कैसे तैयार की जाती हैं और बजट या लेन-देन से जुड़े फैसले कैसे लिए जाते हैं।
डिजिटल दौर में सीखने के तरीके और भी आसान हो गए हैं। अब कई कंपनियाँ ऑनलाइन वर्क एक्सपीरियंस के अवसर देती हैं, जहाँ छात्र घर बैठे वास्तविक प्रोजेक्ट्स पर काम करना सीख सकते हैं। Deloitte या PwC जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप हासिल करना कठिन जरूर है, लेकिन इससे मिलने वाला अनुभव करियर की मजबूत नींव रखता है। साथ ही, स्थानीय छोटे व्यवसायों में भी काम करने के अवसर मिल सकते हैं, जहाँ एक युवा अकाउंटेंट को विविध कार्यों का अनुभव मिलता है – जैसे रिकॉर्ड मेंटेन करना, ऑडिट में सहायता करना और क्लाइंट्स से जुड़ना।
विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ लेना भी उपयोगी होता है। किसी क्लब या सोसाइटी का ट्रेज़रर बनना, या पार्ट-टाइम काम करना, वित्तीय अनुशासन और जिम्मेदारी निभाने की क्षमता बढ़ाता है। ऐसे अनुभव न केवल रिज़्यूमे को मजबूत बनाते हैं बल्कि भविष्य में प्रोफेशनल योग्यता हासिल करने में भी मदद करते हैं। वास्तविक कार्य का अनुभव एक उभरते हुए अकाउंटेंट को आत्मविश्वास देता है, इंडस्ट्री से जुड़ने का मौका प्रदान करता है और करियर में स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम साबित होता है।
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निष्कर्ष
अगर आप यह जानना चाहते हैं कि अकाउंटेंट कैसे बनें, तो सबसे ज़रूरी है कि आप शुरुआत से ही सही जानकारी इकट्ठी करें। कौन-सा कोर्स आपके लिए बेहतर है, किस स्पेशलाइज़ेशन की मांग ज़्यादा है, और उद्योग में कौन-सी स्किल्स सबसे उपयोगी हैं – इन बातों की स्पष्ट समझ आपके करियर को मजबूत बनाती है। पढ़ाई के साथ इंटर्नशिप या ट्रेनिंग करने से आपको काम की वास्तविक जरूरतें समझ आती हैं। जब सीखने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, तब अकाउंटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ना आसान हो जाता है।
अकाउंटेंट से जुड़े FAQs
Q1. अकाउंटेंट का मुख्य काम क्या होता है?
अकाउंटेंट कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड संभालता है, लेन-देन दर्ज करता है और बैंक स्टेटमेंट के साथ खातों का मिलान करता है।
Q2. जूनियर अकाउंटेंट और सीनियर अकाउंटेंट में क्या अंतर होता है?
जूनियर अकाउंटेंट रोज़मर्रा के वित्तीय काम करता है, जबकि सीनियर अकाउंटेंट टीम का नेतृत्व करता है और महीने के अंत की रिपोर्ट तैयार करता है।
Q3. भारत में अकाउंटेंट की सैलरी कितनी होती है?
जूनियर अकाउंटेंट लगभग ₹2 लाख – ₹4 लाख प्रति वर्ष कमा सकता है। सीनियर या अनुभवी चार्टर्ड अकाउंटेंट ₹5 लाख – ₹10 लाख प्रति माह तक कमा सकते हैं।
Q4. अकाउंटेंट बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए?
कॉमर्स, फाइनेंस या संबंधित क्षेत्र में डिग्री जरूरी है। साथ ही एक्सेल, टैली और अन्य वित्तीय सॉफ्टवेयर का ज्ञान होना चाहिए।
Q 5. क्या अकाउंटेंट की नौकरी स्थायी होती है?
अधिकांश अकाउंटेंट पद स्थायी (Permanent) होते हैं, खासकर सरकारी और बड़े कॉर्पोरेट सेक्टर में।
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